@WAR
writer Aashika (Reshu) jain
@WAR · 2:10

जीवन की गहराई में जाकर देखो दोस्तो , यहां कोई खुश तो कोई गुमसुदा है , कोई हस रहा है तो कोई दिखावा कर रहा है , मेरी poem का शीर्षक जीवन की गहराई है

लेकिन मैं थक गई। जबान को लगाम देते? देते देते? लेकिन मैं थक गई। जवान को लगाम देते देते। दुखी हूं पर सबको खुश रखने की कोशिश करती हूँ। दुखी हूँ पर। सबको खुश रखने की कोशिश करती हूँ। बुरी हूं पर। सबसे अच्छा व्यवहार करती हूं। मालूम है? कोई याद नहीं करता? मालूम है? कोई याद नहीं करता? फिर भी दिन में सबको 1 बार याद करती हूं।

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@PSPV
Prabha Iyer
@PSPV · 3:45
नमस्ते? आशा। जी। आशा करती हूं कि आप खुश हो? अच्छी हो। और आपकी जो कविता है? ये। आपने जो कहा है? सही। कहा है? जीवन की? गहराई? है। इसमें। मुझे 1 लैंड। बहुत अच्छा लगा। मैं खुद से बात करती हूँ। खुद से बात करना होता है। क्योंकि सब हमें 2 धोखेबाज कहते हैं। हमें दुख देते हैं। और हमें निराश भी करते हैं। पर ऐसे समय हम किसी से बात नहीं कर पाते हैं। क्योंकि हम वेब लंक। हमारा दूसरा रहता है। तो अपने से। हम बात करेंगे?
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