दुनिया तो दुनिया होती है , खुद बदलाव लाना नहीं चाहती , परंतु दूसरो से उम्मीद रखती है , क्योंकि दुनिया तो ऐसी ही होती है
तो तुम उसकी सिर्फ अच्छाई ही देखोगे। लेकिन दुनिया तो दुनिया ही होती है। किसी में लाख अच्छाई भी होंगी? तो 1 बुराई को लेकर नजरिया बना लेती है। क्योंकि दुनिया तो दुनिया ही होती है। अपने घर में क्या? क्या है? क्या? नहीं? यह तो उसे पता नहीं होता। अपने घर में क्या है? क्या? नहीं? ए तो उसे पता नहीं होता? लेकिन पडोसी के यहां क्या नया आया? एतक? उसे पता होता है? क्योंकि दुनिया तो ऐसी ही होती है। अरे दुनिया को तो अपनी बुराई तो सही है।
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 2:11
नमस्कार? मैं? तो? अपने बखूबी? पोयम? कहीं? सुनने? में। बहुत अच्छा लगा। और सच कहा। दुनिया तो दुनिया ही होती है। खुद? बदलाव लाना? नहीं। चाहती। पर दूसरों से उम्मीद रखती है? कि बदलाव लाए? यह कहाँ की समझदारी? है? से। है। दुनिया। 2। दुनिया होती है? है। दुनिया। दुनिया होती है। दुनिया के लोग। दुनिया के लोग होते हैं। सब चाहते हैं कि कोई और पहल करे। कदम? उठाए?