दिल के मन के विचारों को सच के साथ हम कहें और दिल की सुन कर उस राह पर हम चलें सस्त तो होते हैं शब्दों में विचार हमारे बस कहने के साहस के साथ। न हम न तुम कह पाते हैं
हेलो? आपने बिल्कुल सही कहा हमारे मन में बहुत सारे ऐसे चीज होते हैं जो जिन्हें कहने की हिम्मत हमें नहीं होती और जब भी हम सोचते ये कहें ये बोले ये शेयर करें तब हम कांपने लग जाते हैं। जिसकी वजह से हम जाग कर भी किसी को वो बात बता नहीं पाते हैं। तो ऐसी चीजों से डरना और सबके और उसे छिपाने की कोशिश करना बहुत ही ऐसी चीज है जो हमें बाद में भी करना पड़ता है। मतलब अगर आप छिपाए कोई प्रॉब्लम नहीं। पर 1-न-1 दिन ऐसा आ जाता है जब आपको सच को सबके सामने कहना ही पड़ेगा तब आपमें बहुत भारी पड़ जाएगा।