आंखें? तालाब? नहीं? फिर भी भर जाती हैं? दिल? कांच? नहीं? फिर भी टूट जाता है? और इंसान मौसम? नहीं? फिर भी बदल जाता है? है न? कमाल की बात?
आंखें? तालाब? नहीं? फिर भी भर जाती हैं? दिल? कांच? नहीं? फिर भी टूट जाता है? और इंसान मौसम? नहीं? फिर भी बदल जाता है? है न? कमाल की बात?