सफल लंबा हो? तो? तय करने में। वक्त? तो लगता है। किसी नए के साथ जुड़ने में? वक्त? तो लगता है? किसी नए के साथ जुड़ने में। वक्त। तो लगता है? बिखरे हुए को समेटने में? वक्त। तो लगता है? उलझन को सुलझाने में? उलझन को सुलझाने में, नए ख्वाब पिरोने में, गम को बुलाकर मुस्कुराने में। वक्त। तो लगता है। ख्वाइशों को हकीकत बनाने में। वक्त। तो लगता है। जिंदगी को जिंदगी बनाने में। वक्त। तो लगता है। जिंदगी को जिंदगी बनाने में। वक्त। तो लगता है। आपको मेरी यह कविता कैसी लगी?
Kushagra verma
@Kushagraverma · 1:43
हेलो? जागती बहुत ही कम वक्त लगा और सर से वक्त में वक्त के बारे में बहुत कुछ बता दिया कि हां क्या? क्या? चीजें करने में वक्त बहुत लगता है? और मैं जैसे की आर्टिस्ट हूं तो 1 पेंटिंग बनाने में भी बहुत वक्त लगता है। और जब जब वो कंप्यूट हो जाती है तो उसको देखने में जो आनंद होता है न वो कुछ अलग ही होता है। तो वक्त लगता है। और क्योंकि 1 फल 1 फूल को फल बनने में भी बहुत वक्त लगता है तो वैसे ही जब तक वो फल पकता नहीं है तब तक बहुत इंतजार करना पड़ता है।
Jaya Sharma
@jayasharma · 0:47
हेलो? जागृती? बहुत सुंदर कविता लिखी तुमने। इसमें। मैंने भी अपनी तरफ से कुछ जोड़ दिया है। बिछड़ों को मिलाने में। वक्त तो लगता है। रूठों को मनाने में। वक्त तो लगता है। और बिखरे को समेटने में। वक्त। तो लगता है। टूटे हुए को जोड़ने में। वक्त तो लगता है। और और भी बहुत सारी चीजें इसमें जुड़ सकती हैं। ऐसे आपने। बहुत अच्छा लिखा है। थैंक यू? थैंक यू? वेरी मच? और इसी तरह? आगे लिखते रहिये? और आगे बढ़ते? रहिए? ओके? थैंक यू।