Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:15
जिन्दगानीह सबो कुछ सिखा देथे
हेलो फ्रेंड्स गुड इवनिंग। आज मैं अपने राज्य भाषा छत्तीसगढ़ ही में छोटी सी कविता लेकर आई हूँ जिसका शीर्षक है जिंदगी। सब कुछ सिखा। देती है सुनिएगा जिंदगानी। हम सब कुछ सिखाते थे। घला बना भी दे हे और तोड़ भी दे थे। जिंदगी है सब को सिखाते थे घर बना भी थे। और भी थे। जिंदगानी है सबक को सिखाते थे। हसता रुलाते थे, सादे थे सब। जिंदगानी है सब कुछ सिखाते थे। बेला के दरिया बह? जिंदगी है कटका? बदल जा? पता? घला नहीं चला।
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:33
नमस्ते जागitीहम। कविता। भाषा, मैथली में। कविता। बढ़निलागलेजिंदगी का खन। जिंदगी। बदल। जैसी लोग के पता नहीं चले जाए। बढ़नी बिल्कुल? सही बात है। मोर। ककरो? कहना? पता चल है? कफन? पता चले? मुदा? पता चल रही है? तो बहुत देर है। क्या कि जिंदगी तो हर तरह से अपन खेल है। अपने अंदाज में। हम सब। कटपुतली मात्री? जहिना? जिंदगी? जई? रास्ता ना? हम सब। लेकिन जिंदगी? के से हसतहमसबकेगुजरे? चाही? वितबाकचाहीकया। जिंदगी। 1।