प्राणाधार। ओमकार की। महिमा। न्यारी ओम है। सनातन की पहचान, पुरातन, भारतीय संस्कृति में है। सदियों से विद्यमान, जो, नित्य ओंकार, नाद करते, प्रखर बो्दीटीजीएस के स्वामी होते। ओम की ध्वनि है। मंगल कारी। ओंकार में। सम्पूर्ण ब्रह्मांड है। समाया ओंकार में। सम्पूर्ण ब्रह्मांड है। समाया ओम की ध्वनि। मनाती हमें दिर्घायु, समस्त, लो, दोषों को। मिटाया। ओम की दिव्यता है। अलौकि ओम हीं पर ब्रह्म आनंद। स्वरूप ओम ही पर, ब्रह्म आनंद।
Urmila Verma
@urmi · 1:39
सृष्टि की। सृष्टि का आधार है। सृष्टि का। प्रारंभ। ओम है। आपने बहुत अच्छे व्यक्त किए हैं। इसमें? विचार। हम सब जानते हैं कि हम ्रणायाम करते हैं? योगासन करते हैं? योग करते हैं? ध्यान करते हैं? तो ओम का उच्चारण जरूर करते है। क्योंकि ओम का उच्चारण करने से हमें हमारा रोगों से बचाव होता है। हमारे चित में आनंद का प्रभाव होता है। और हम स्वस्थ रहते हैं। तो बहुत अच्छा लगा। आपका। ये रचना। सुन के ऐसे लिखते, रहिये, थैंक यू।