या तो समर कोर्स लान कर लेते हैं या अन्य एक्टिविटी करते हैं। इसी से मैंने आज की कविता लिखी है। सुनिएगा गर्मी की छुट्टियां? आ गई। गर्मी की छुट्टियां? आ गई। गर्मी की छुट्टियां? पर? कहाँ गई? वो? दतें? और नदानियां? पर? कहाँ गई? वो? सरारते? और न? दानियां? कहाँ? गुम? हो गई? वो? दादी? नानी के किस्से? और कहानियां? आपकी? दोपहरी में। न नीम की छाव हैं? और न ही अमराई है। न ही अपना काम है। अब की छुट्टियों में।
gungun bansal
@gungunbansal_ · 1:01
hi? jati? thank you? so much? for? coming? up? with this sel? its actually? in? stalgastingthis? podcast? to be? on us? you know? for? my my school? omivications? are? really? amazing? like? all the gusansweusedto? go? to the tom? even together? mama? together? used to go? to the come together? dans classes? in all its fun? because my anis houses? very close? to place? and the other?
हेलो? जागृती जी। आपने बिल्कुल सही कहा है? जब हमारी गर्मी की छुट्टियां स्टार्ट होती थीं। जब हम वेकेशंस पर इंडिया चले जाते चले जाते थे। जब वह दादी नानी के साथ। हम बहुत इंजॉय करते थे। उनके हिस्से कहानियां सुना करते थे। हम। बहुत मजा आता था। हमें। और उनके साथ। हम घुमा करते थे। चाहे हमारे माँ बाप लेकर जाओ या ना जाओ। पर उनके साथ हम बहुत ज्यादा घुमा करते थे। बहुत अच्छा टाइम स्पेंड होता था। पर आपके ऐसा है। अब ये जनरेशन ऐसी है। कि यहां पर समर कोर्सेस ज्वाइन कर लेते हैं।
Swell Team
@Swell · 0:15
मेरा बहुत बहुत नमस्कार जुगरीतीजी आपको आपने जो अपनी नई कविता लिखी है आज गर्मी की छुट्टियां आपने बहुत ही अच्छी और बहुत ही सुंदर शब्दों में गर्मी की छुट्टियों का पूरा किस्सा जो है व्यक्त किया है आजकल देखा जाए तो जो पहले मजा था गर्मियों की छुट्टियों में वह आजकल काम हो गया क्योंकि हर कोई अपनी रोजमरा जिंदगी में व्यस्त है किसी के पास इतना कहीं जाने का आने का इतना समय है पहले लोगों में आपसी मेल मिला किसी के घर आना जाना बहुत ज्यादा हुआ करता था और अधिक से अधिक लोग समय 1 दूसरे से बातचीत 1 दूसरे के साथ जो है बिताया करते थे लेकिन आज जमाना तेजी से बदल रहा है और मोबाइल फोन्स हैं वीडियो गेम्स हैं और अन्य स्क्रीन वाली जो भी चीजें हैं कंप्यूटर है लैपटॉप है तो सभी लोग जो हैं ईवन बच्चे भी उसमें व्यस्त हैं पहले गर्मी की छुट्टियों में बच्चे अपना सारा काम वाम जो भी गर्मी की छुट्टियों का मिला करता था वह करके अपने दादा दादी के घर या नाना नानी के घर जाने के लिए बहुत ही खुश हुआ करते थे लेकिन अगर आजकल के बच्चों को बोलो कि दादा दादी के घर जाना है या नाना नानी के घर जाना है तो वो खुशी जो है उनके चेहरे पर इतनी दिखती नहीं है वह अपने ही घर में रहना खुश पसंद करते हैं और अपने ही घर में आश्राम से खाया मस्त अपना फोन चलाया तो ये कहीं न कहीं 1 बुरा असर भी डालता है क्योंकि जितना हम लोगों के साथ समय वितीतकरेंगे हमें उनकी भावनाएं उनके काम उन सब का पता चलता है लेकिन अगर हम अपने में व्यस्त रहेंगे तो वो कहीं न कहीं असर डालता है आजकल गर्मियों की छुट्टियां तो पड़ती हैं लेकिन जैसे कि आपने कहा कि दादा नानी के किस्से को साथ नहीं ला पाई है छुट्टियां तो गर्मियों की हर वर्ष जो है पड़ती हैं जो उनसे जुलाई तक और लेकिन वो दादा नानी के किस्से जो हैं वह अब हट के हैं और पहले जो है बड़ी खुशी से बच्चे दादा दानी के घर जाते थे दादा नानी से कहानियां भूत प्रेत की कहानियां और अन्य तरह की कहानियां जो है सुना करते थे लेकिन आजकल वो शरारतें वो नादानिया वो इतनी देखने को नहीं मिलती न ही वह नीम की छाँव है और न ही अमराई है ना ही मटका कुल्फी है पहले गर्मियों की छुट्टियों में जैसे गांव में होता है कि दिन में या शाम में कुल्फी वाला 1 बडी चक्कर लगाया जाता है लेकिन आजकल ये सब चीजें जो पहले हुआ करती थी ये नहीं है तो आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी और पुरानी जितनी भी यादें थी वो हमारी तरोताजा की इस कविता लिखने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ऐसे ही लिखते रहिये और हमें सुनाते रहिये मेरी तरफ से 1 बार आपको फिर से धन्यवाद।
Kushagra verma
@Kushagraverma · 2:50
तो कुछ एक्टिविटीज करो? कुछ? न कुछ करते? रहो? करते? रहो? करते? रहो? इतना कॉम्पिटिशन? बढ़ चुका? है? न? बच्चों की लाइफ में? कि अब तो बच्चों को भी लगता नहीं है? कि बच्चे हैं? बिल्कुल? बड़ा? जैसे एक्ट करने लग गए हैं? कि हम इतने बिजी हैं कि हमें इधर उधर घूमना है? नी? हमें रिलेशंस को जीना ही नहीं है? वो रिलेशंस को जी ही नहीं पाते क्योंकि वो अभी भी सही रिस्पोंसिबिलिटी में खो चुके हैं।