Jagreeti sharma
@voicequeen · 3:06
सुविधा -एक बुरी लत
हेलो? स्वेल? फैमिली? उम्मीद है। आप सब? बहुत अच्छे होंगे? खुश होंगे। मेरी आज की जो स्वैल है वो 1 कविता है। और जैसा कि हम देखते हैं कि आजकल हम बिजली से चलने वाले उपकरणों से घिरे हुए हैं। ये जो उपकरण है ये हमारे जीवन को सरल एवं सहज बनाती है। लेकिन जब कभी इलेक्ट्रिक सिटी ही कट हो जाए? तो ये नहीं चलती। और फिर हम क्योंकि उसके आदी हो चुके हैं तो परेशान हो जाते हैं। तो मेरी आज की कविता इसी पर आधारित है। कविता का शीर्षक है? सुविधा। 1 बूढ़ी। सुनिएगा?
मेरी तरफ से बहुत बहुत नमस्कार जागरीतीजी आपको जागृत सबसे पहले मेरी तरफ से बहुत बहुत शुक्रिया आज आपने बहुत ही डिफ्रेंट टॉपिक पर लिखा है और मुझे लगता है कि मैं कितने स्वेल सुनती हूँ लेकिन इस टॉपिक पर शायद किसी ने बात नहीं की हो यूज टेक्नोलॉजी का सभी करते हैं लेकिन उसके बारे में सोचना और उसके बारे में कुछ अपने विचार प्रकट करना यह बहुत बड़ी बात है तो मेरी तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद जादीदीजीआपकोरआपने बहुत ही अच्छा सुविधा 1 बुरी लत टाइटली अपने आप में बहुत ही अच्छा और सब कुछ भाव जो है कह रहा है आजकल के अगर टाइम की बात की जाए तो पहले जो काम हाथों से लोग किया करते थे आजकल वे सारे काम मशीनों से किए जाते हैं चाहे वो किचन का काम हो चाहे हमारे कमरे ठंडे कने की बात हो चाहे हमारे इंसानों ने कोई फसल लगानी हो हर 1 काम के लिए 1 पर्टिकुलर मशीन जो है मार्केट में आगे है और इंसान सुविधाओं का गुलामी जो है वो बनता जा रहा है जैसे कि आपने कहा कि अगर बिजली कट जाती है तो इन्सान जो है मन ही मन सोचता है वह काम हाथ से नहीं करेगा क्योंकि वह मशीनों का आदी बन चुका है और वह काम उसे हाथों से करने की आदत नहीं है और न ही वह करना चाहता है इसलिए सुविधा 1 बुरी लत है जैसे आपने कहा ना मिले तो मन बहुत तड़पता है और मन बेचैन रहता है इसलिए टाइम के साथ साथ हमें बदलना चाहिए माना की टेक्नोलॉजी का जमाना है लेकिन अगर लाइट कट जाती है यह ज्यादा देर तक नहीं आती और वो काम जरूरी है तो हमें वो काम हाथों से या उस काम को करने का दूसरा ढंग पता होना चाहिए आपने बहुत ही अच्छा जागृति लिखा और जैसे आपने कहा न बनो तुम सुविधाओं के आदि न बनो तुम सुविधाओं के आदि हम सुविधाओं के गिर्द घूमते रहते हैं और खुद काम करने में मनुष्य भी बहुत आलसी है आजकल देख लो राइस कुकर में चावल डाले चावल बन गए मशीन धोने वालों में कपड़े डाल लिया? कपड़े धुल गए? गीजर है?
Jaya Sharma
@jayasharma · 2:01
और इतनी हर काम मशीनों से होता है। जैसे पहले सिलबट्टे पर चटनी पीसी जाती थी? या कुछ भी पीसने का काम सिलबट्टे पर होता था। आजकल मिक्सी आ गई है। पहले कपड़े हम अपने हाथ से धोते थे? आजकल मशीन आ गई है। वो भी फुल्ली आटोमेटिक? जिसमें कुछ भी नहीं करना पड़ता। हर चीज अपने चुटकी वजह हमारे सामने उपस्थित हो जाती है। आई, मीन, सारी सुविधाएं हमारे घर पर ही उपलब्ध हैं। और हमारा शरीर उस उन सब चक्करों में मतलब कि खराब होता जा रहा है?