@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 2:15

मर्द की कहानी...एक मर्द की जबानी

article image placeholderUploaded by @voicequeen
नारी? तो रोकर अपनी पीरा कम कर लेती है। पर ये बात पुरुषों पर कहाँ लागू होती? है? नारी? तो रोकर अपनी पीड़ा कम कर लेती है। पर ये बात पुरुषों पर कहाँ लागू होती है? आखिर? हम भी? इंसान हैं? हमारे भी। मनोभाव हैं? हां? नहीं आता। हमें? समझाना? नर्मी से। पर। सच कहूँ? तो मन जख्मी हो जाता है? अपनों की बेदर्दी से। पर। सच कहूँ? तो मन जख्मी हो जाता है।

#mywordsmypower, #poetofswell, #male, #emotion

@SPane23
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:36
गुरानunजागरकीज? आपकी। मर्द की कहानी। मर्द की? जुवानी सुनके। मुझे। अपनी 4 लाइन की पंतियांयादआगईजो। मैंने। मर्द पे ही लिखी थी। मर्द फिजुलखीमैं? सुनाना? चाहूंगी? दर्द हर मर्द को भी होता है? दर्द। हर मर्द को भी होता है। पर। वो करे क्या? दर्द? हर मर्द को भी होता है? पर? वो करे क्या? उसे? घर भी? घर का बोझ भी उठाना है? और खुद को मजबूत भी दिखाना है? आपने बिल्कुल? सही कहा। स्त्रियां?
@avantika202
Avantika Rabgotra
@avantika202 · 3:47
इन्टेंसिटी जो है वो चाहे लड़कियों में ज्यादा हो? या मर्दों में? ज्यादा हो? या कम हो? वो डिपेंड करता है? लेकिन समझना जो है? अंडरस्टैंडिंग जो है किसी चीज की? वो बड़ी? जरूरी है। हमें ऐसे इग्नोर नहीं कर सकते है? न ही हम किसी चीज पर जो है ऐसे ब्लाइंडली? ट्रेस कर सकते हैं? तो जब तक हम समझेंगे नहीं? तो हमें क्या पता कि उनको दर्द होता है? या नहीं? होता? तो ये तो सोसाइटी में ही शुरू से चलता आ रहा है की हाँ? भाई पुरुषों को जो है? दर्द नहीं होता? तो? नहीं होता? तो जो आगे वाली जनरेशन आती है?
@Swell
Swell Team
@Swell · 0:15

Welcome to Swell!

@Kushagraverma
Kushagra verma
@Kushagraverma · 2:57
लेकिन 1 लड़की और माँ के बीच में कुछ अलग अलग भावनाओं का तारतम्य बैठता है। क्योंकि लड़कियों को तो वैसे ही हमारे समाज में कहा जाता है कि तुम अबला नारी हो? वो वो वो सुन सुन के वो दिमाग में हो जाता है? कि हाँ? हम तो लड़की हम कुछ नहीं कर सकते है फिर समाज हमारा साथ नहीं देगा? लड़के को? वो चीज नहीं मिलती हैं? तो समाज भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। पर।
@moonie21
Chandni Baid
@moonie21 · 0:46

@voicequeen

हेलो? मैं? बहुत ही सुंदर है। यह। शीर्षक। ऐक्चवली इक्वॉलिटी की। जब हम बात करें तो क्वालिटी से हम वुमन एम्पावरमेंट की बात करते हैं? ये मैन एम्पावरमेंट और मैं मैं। सोसाइटी। बहुत सालों से चलती आ रही है। शायद इसके लिए इसकी कोई बात नहीं करता। बट? हां आज की डेट में। ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी में चीजें चेंज हो चुकी है। और अब क्वालिटी की बात करते हैं। तो हमें दोनों की ही इक्वालिटी की बात करनी चाहिए। नोट? ओनली? मोमेंट? तो बहुत अच्छा शीर्षक। चुना। बहुत अच्छा बताया आपने। और ऐसे ही लिखते रहिये? थैंक?
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