@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 2:50

जाने क्यों हम बडे हो गये हैं?

article image placeholderUploaded by @voicequeen
कभी झुकना पड़ता है? कभी मन को मारना पड़ता है? जाने हम क्यों बड़े हो गए? अब? बोलने से पहले? सोचना पड़ता है? क्योंकि अब हम बड़े हो गए? आखिर? हम क्यों बड़े हो गए? यही तो प्रेशर है? लाइफ? का। जाने हम क्यूँ बड़े हो गए? वो बचपन वाला आनंद? और सुकून? कहीं खो गया है? वो बचपन वाला आनंद। सुकून? कहीं खो गया है? कहीं? कोई आवाज मन में ही दब गया है? क्यूँकि? अब हम बड़े हो गए हैं? काश? हम फिर से बच्चे? बन जाएं?

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@kadambarigupta
Kadambari Gupta
@kadambarigupta · 0:30
नमस्कार? जागृती। जी। मेरा नाम कदरी गुप्ता है? मैंने अभी। आपकी कविता सुनी। बहुत अच्छा लगा। और आपने जो बात कही की हम क्यों बड़े हो गए हैं। हमें भी कई बार लगता है। बड़े होने के बाद बचपन में हम सब चाहते हैं कि हम जल्दी बड़े हो जाए। फिर हमें क्यों बड़े हो गए हैं? तो आपके विचार बहुत अच्छे लगे। ऐसे लिखते रहिये। और आपको बहुत सारी शुभ कामनाएं। और आप ऐसे लिखती रहे। बहुत आपको। भगवान। कामयाबी दे। बहुत बहुत शुक्रिया।
@shivani_poetry
Shivani Tandon
@shivani_poetry · 1:39
और लोगों की और समाज की। रोक? टोक। और इन सब चीजों में? कहीं न कहीं बंद गए। थोड़ा? बहुत और जिम्मेदारियां आ गई। मन। स्थिति बदलती गई है। बड़े होकर। बचपन में। बस। हर चीज को हंसी में डाल देते थे। अभी। अगर कोई कुछ कहता है तो बहुत सोचना पड़ जाता है। चीजों को लेकर। पता नहीं क्यों? बड़े हो गए? क्यूँ? वो? बचपन वाला दिल तो बच्चा है? जी? रह? नहीं? क्या? पता नहीं। कविता आपकी। बहुत सुंदर थी। धन्यवाद। ऐसी।
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