नमस्कार? दोस्तों। मैं? विपिन। 1 बार फिर। आप। सब के साथ। आज की कविता। बचपन की यादों के विषय में है। दरअसल? कुछ पढ रही थी बचपन के विषय में। तो अपने बचपन में चली गई। कुछ यादें हैं? जो आप सब के साथ बांटनी हैं। शीर्षक हैं? बचपन की यादें। बचपन कोमल? चंचल। नाजुक? हम? बच्चे। निर्दोष मन वाले। जो सामने देखते हैं। बस। वही सच। समझने? कहने वाले। मां के हाथ की कचौरी के लिए। लड़ने वाले।
हम उनके साथ कैसे झूम उठते थे। और हमारी बहन? भाई। हम उनके साथ भी बहुत ज्यादा लड़ते रहते थे झगड़ते रहते थे। और हम 1 दुसरे से बहुत प्यार करते थे। और वो रिमोर्ट की लड़ाई आज भी याद है। हमें की। हम कैसे रिमोट के लिए लड़ा करते थे कि हमें ये चैनल देखना है। हमारा वक्त है भी। सच में। वो बचपन चला जाता है लेकिन बचपन की याद है। हमेशा दिल में बसी रहती है। और आप ऐसी लिखते रहिये। और हमें सुनाते रहिये कीप शाइनिंग।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 0:37
थैंक? यू सो? मच फॉर लिसनिंग एंड शेयरिंग योर? चाइल्ड हुड। मेमरीज अच्छा लगा कि इस पोस्ट के जरिए से हम अपने बचपन को दोबारा जी लेंगे। थोड़ी पुरानी यादें खट्टी मीठी, थोड़ी लड़ाई झगड़े सब सब वापस आँखों के सामने 1 चलचित्र की तरह वापस चलने लगेगा। आपने सुना आपने अपने प्रतिक्रिया दी। उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Swell Team
@Swell · 0:15
Urmila Verma
@urmi · 1:37
विपिन जी। आपकी कविता सुनी बचपन के होते है। आपकी कविता सुनने। पर। हमें अपना बचपन ताजा हो गया। बहुत सारी बातें आँखों के सामने तैर गई। जो बचपन में गुजर चुकी हैं। बहुत अच्छी कविता लिखी। आपने। बहुत प्यारी। और बहुत। इसमें। भावपूर्ण ढंग से आपने प्रस्तुत किया कि बच्चे कैसे होते हैं? निर्दोष मन वाले होते हैं? हृदय से कोमल? और आत्मा से सच्चे होते हैं। और कैसी कैसी हरकतें करते हैं। बच्चे डंडी वाली साइकिल को। कैंची चलाते हैं। सड़कों पर साइकिल दौड़ाते हैं। कागज की नाव तैराते हैं।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:57
छोले कुलचे हैं। दरअसल? आज की पीडी ये सब चीजें मिस करती है? क्योंकि वो आडंबर से भरे हुए माहौल में जी रहे हैं। हर चीज उनके लिए। सिर्फ वन क्लिक अवे हो गई है। घर बैठे। हर चीज उन्हें मिल जाती है। न साइकिल चलाने जाना है, न बारिश में नाव घुमानी है, न पतंगे उड़ाने हैं। न क्रिकेट खेल के। कांच तोड़ने हैं। उन्हें सिर्फ। मॉर्डन गैजेट्स के संग। खुश रहना है। तो? पता नहीं?