Farq hona tha (part 1)
तो जब फर्क कितने थे तो बस? फर्क तो होना था उसे? मुझसे। और मुझे उससे अलग होना था। सो? हाई? गुड ईवनिंग हैप्पी। वी? कैन? फर्स्ट? फॉल? और बहुत टाइम के बाद मैं वापस से मैंने पोडकास्ट बनाया है। जैसा कि आप लोग सुन पा रहे होंगे कि मेरा गला बहुत हद तक खराब है। तो कहीं न कहीं 1 ये भी रीजन था पोडकास्ट नहीं बनाने का? अभी थोड़ा सा बेटर लगा। तो मैंने सोचा चलो बहुत याद आ रही है? थी सबकी की? हां?
Akanshya Kajol
@AKA381 · 1:40
और जहां तक मुझे समझ में आ रहा है कि अगर 1 रिलेशनशिप की बात आप कह रहे हैं तो अंडरस्टैंड नहीं होना बहुत जरुरी है। ऐसे अगर डिफ्रेंस होंगे? अगर फर्क हो होंगे मतलब फर्क होगा? तो लास्ट एंड में कहानी अधूरी ही रह जाती है। तो आई होप आप। और ऐसी कविताएं लेकर आएं। मैं इसका पार्ट तो बहुत ही अच्छे से सुनना पसंद करुंगी। और थैंक यू में बहुत ही अच्छा लिखा है। आपने। और स्वल में। आप अपलोड करते रहिये। धन्यवाद।
तो कहीं न कहीं तो फर्क होता ही है। और जैसा कि मैंने अपनी लास्ट की 2 लाइनों में कहा कि मुझे उससे और उसे उसे मुझसे अलग होना था। तो बस यही होता है मोरल ऑफ द स्टोरी। कि अगर डिफ्रेंसिज होते हैं? तो बिल्कुल ऐड? द। यही होता है सो? थैंक यू सो। मच। और मैं जल्दी ही इसका पार्ट टू आपको सुनाने वाली हूं। तो कीप शेयरिंग योर? थॉट्स एंड स्टेट? यू? थैंक यू सो? मच? हैप्पी? वी कैन?
ह**ो? mam? युवा योर? boites? अमेजिंग बहुत ही अद्भुत और खूबसूरती। फर्क के फर्क के टाइटल पर अपने बहुत अच्छी सी रिसार्ट किया। और बहुत ही अच्छी तरीके से हमने समझाया भी बहुत ही अच्छा लगा। आपकी इस खूबसूरती और कविता को सुनकर आम। होपिंग। यू आर? यू आर फाइन नाव एंड डूइंग वेल? टेकर? स्टेसे? थैंक? यू फॉर शेयरिंग? दिस पोइट्री अगेन?
मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 2:09
लेकिन इंसान वक्त से मात खा जाता है। कभी मेरे हिसाब से आम नोट दिस। इज माई पर्सनल था कि कभी भी कोई इंसान खुद से कुछ गलत करने की कोशिश नहीं करता। जो वक्त जो किताबों में, जो नसीब में लिखा हुआ है। इंसान के साथ वही होता है। तो आपकी कविता काफी अच्छी है। लेकिन मेरे हिसाब से मैं कभी किसी को ब्लेम नहीं करता। मैं आपको फोर्स नहीं कर सकता कि आप मेरे से प्यार कीजिए। मैं आपसे रिक्वेस्ट कर सकता हूँ कि आप मेरे से प्यार कीजिए। जिए आप मेरी केयर कीजिए। और वो भी कहने से प्यार नहीं होता।
तो कहीं न कहीं कर्म? और दुआ? और ये सारी चीजें भी मैटर करती हैं। और जहां तक आपने फर्क वाली बात पे बोला कि लाइक? हमें रिक्वेस्ट करना चाहिए? या ऐसा? तो मुझे लगता है ऐसा रिक्वेस्ट? एन ऑल वाली? तो कोई बात ही नहीं है। मैं मेरी जो पोइट्री थी वो बेसिकली। मैं थोडा सा यह बताना? चाहूंगी आपको? कि? वो बेसिकली? किसी से कुछ फर्क की बात नहीं है? कि मैं क्या चाहती हूँ? या मैं रिक्वेस्ट कर रही हूँ? या मुझे? ये चाहिए? इट्स ऑल?
Swell Team
@Swell · 0:15
ह**ो? मैम? दिस? इस प्रज्ञा तिवारी? और आपकी? ये जो पोटली थी काफी इंट्रस्टिंग थी। कई बार लाइफ में ऐसा होता है कि 1 रिलेशनशिप में हम अपना बेस्ट दे रहे होते हैं। पर जब कभी हम अपने चारों ओर देखते हैं? तो हमें ऐसा लगता है कि ये रिलेशनशिप में तो सिर्फ हमी है। सामने वाला तो है ही नहीं। उसका कोई योगदान? उसका कोई इंटरेस्ट? कुछ भी नहीं रहा। हम बस पागलों की तरह किसी के दीवाने हुए जा रहे थे। एंड? 1? जो दूसरा पहलू है?
Ayushi Bharat
@Ayushi-Bharat · 2:25
सब ही बेकार था। और बिल्कुल भी। हम दोनों के लायक नहीं था। फर्क यह भी था कि हम सिर्फ और सिर्फ दूसरों के कहनो पर चढते रहे। दूसरों को खुश करते रहे। और अपना न समझ के दूसरों की खुशियों को? और उनकी परवाह को ऊपर रखकर, हमेशा परोपकारी बनने की कोशिश में लगे रहे। ये फर्क ही बताता है कि हम ज्यादा से ज्यादा क्या कर सकते हैं? और क* से क* हमें क्या करना चाहिए? इसलिए फर्क तो है ही। और फर्क तो था ही? उस संबंध में? उस रिलेशनशिप में। और उस 1 कहानी में, जो मेरे साथ घटित हुई थी, 5 साल पहले।
Renu Mangtani
@Rainu · 2:25
हाई? प्रज्ञा? थैंक यू सो? मच फर्स्ट? फॉल? आपने अपने थॉट्स शेयर करें? और आपको मेरी पोइट्री भी अच्छी लगी? सो? थैंक यू सो। मच पर सेकंडली। आपने जो बात बोली वो मुझे बहुत अच्छी लगी कि कहीं न कहीं ऐसा होता है कि हम लोग कहीं अपने आप में ही दीवाने हुए रहते हैं? किसी के पीछे इतने पागल हुए रहते हैं? और और कहीं न कहीं जो आपने 1 अपोजिट इंटरेक्शन की बात करी? या जो बोला कि हां ये ये बिल्कुल सही बात है कि हर कोई अपने आप में अलग ही होता है।
या फिर कुछ ऐसा होता है जो शायद हमें 1 दूसरे से बांध के रखता है। और कभी कभी ऐसा होता है कि शायद बहुत चीजें फेवरेबल होती हैं? लाइक? जैसा कि आपने बोला कि हमारे धर्म अलग थे? तो बहुत बार ऐसा होता है कि धर्म भी 1 हो? बोलचाल भी 1 हो? आप 1 दूसरे की चीजें भी समझते हो? आप 1 शहर में भी हो? आप मिल सकते हो? आप देख सकते हो? ब*? फिर भी कहीं न कहीं वो डिफ्रेंसेज आते हैं कि आप 1 दूसरे को शायद समझ नहीं सकते हो? या समझ नहीं पाते हो? या फिर समझते हुए भी आप उसके अकॉर्डिंग चीजें नहीं कर पाते हो?
और होना भी नहीं चाहिए। मुझे ऐसा लगता है कि चलते रहना ही जिंदगी है। मैंने 1 इस पेक पोडकास्ट भी दिया था कि लाइक? अगर कुछ चल रहा है? तो अच्छा है? बिकॉज? चलते रहना चाहिए? अच्छा? बुरा हो? इससे फर्क? नहीं? पड़ता? ब*? हां? अगर? ये डिफ्रेंसिज? अगर सब कुछ जानते हुए? अगर इंसान सब कुछ समझते हुए भी वो डिफ्रेंसिज आ रहे हैं? तो? शायद वो अच्छा नहीं है? और बस? 1? छोटा? सा? 1। मेरा एक्सपीरियंस था?
JAAN
@Jaan_Aashiya · 1:56
मैं। किस। हद को? अनजान हूं? मेरे होने से? आहट है। उनमें। वो कहते हैं हर बार। मुझे। कि मेरे होने से? आहत है? उनमे। वो कहते हैं हर बार। मुझे जाने। बगैर? आखिर खुद में। मैं। कितनी ज्यादा सुनसान हूं। वो मेरे अरमान भी है। और मेरी पहचान है। वो। वजूद ही नहीं। कुछ मेरा बना। के के। वजूद ही नहीं? कुछ मेरा विन के। मैं। बगैर। उनके बेनाम। हूँ? दैट्स शुक्रिया।
कुछ दिन पहले। न मेरे फ्रेंड के साथ। ऐसा ही कुछ वाकया हुआ है। होता ये कि हसबेंड वाइफ के इतने सालों तक की जो मैरिज थी वो एंड हो हो गई। मतलब हो रही थी। कुछ। तो उसके बाद में। ये कविता है। आपके। सुनने के बाद। एकदम सटीक है। आपका। ऑब्जर्वेशन। एकदम सटीक है। वो। ये कि औरतें न? बहुत भावुक होती हैं। और मर्द बहुत सख्त होता है। कई बार क्या करना पड़ता है। हमें? बहुत चालाकी से। बहुत प्यार से। न। हमारी। चीजें।
ब*? कुछ तो देगा न? ब*? जब ये कुछ नहीं मिलता है तो शायद तभी ये डिफरेंसजआते हैं। क्योंकि वो इस रिलेशन में न दे कि वो कहीं और दे रहा है? है कहीं? और इंवॉल्व? है? या बहुत सारी। ऐसी चीजें होती हैं? तो यू सो मच। और मैंने इसका सेकेंड पार्ट कल ही? अपलोड भी किया है। आप सुनिएगा जरूर और बताइएगा कि आपको कैसा लगा? और थैंक? यू सो मच? और आप प्लीज शेयर कर सकते हैं? कोई प्रॉब्लम नहीं है?
Meri Lekhani
@munnaprajapati1 · 1:17
जी? नमस्कार मैं? मुन्ना प्रजापति। मैं भी आपके जैसे यही ख्यालों में खोया रहता हूँ। और डायरी के पन्नों को भरता रहता हूँ। अपने इस उम्र के साथ। और वक्त के साथ। गुजरते लम्हों को यूँ ही उन पन्नों के बीच कैद करता रहता हूँ। बहुत खुशी हुई। आपकी बातें। सुनकर। हमें लगा कुछ पल के लिए। की। थोड़े से हमारी भावनाएं जो है, मैच कर रही है, मिल रही है। बहुत अच्छा लगा। सुन कर आपकी बातें। और मैं चाहूँगा कि आप ऐसी रचनाएं हमें सुनाते रहिये।
जो भी लिखते हैं अपनी भावनाएं लिखते हैं? या जो भी लिखते हैं? जैसा भी लिखते हैं। लेकिन हां कहीं न कहीं अपने दिल की बात को लिखने का 1 हुनर भी या प्रेजेंट करने का 1 तरीका भी जो है वो भी अपने आप में। 1 आर्ट है। और यह 8 हर किसी में नहीं होता है। तो प्लीज इसे आप बेवजह का कि आप इसकी तौहीन न करें। आप में ये कला बहुत अच्छी है। और जैसा की इसके सेकेंड पार्ट की बात है। तो हां मैं इसका सेकेंड पार्ट भी पोर्ट कास्ट कर चुकी हूं।