Kya emotions ki bhi thin line hoti hai ?
इसमें बहुत लंबी डिस्कशन भी हुई थी? बहुत सारे मेरे पोर्ट कास्ट? फ्रेंड्स के साथ? सो। अगेन। बहुत सारे लोग हैं जो कहते हैं कि मैं हमेशा साथ दूंगी, साथ दूंगा? या कुछ? ऐसे फ्रेंड्स होते हैं जो हमेशा फ्रेंड्स? फॉरएवर? फ्रेंड्स फॉर एवर? कहते हैं लेकिन एक्च्वल में जब आपको उनकी जरूरत होती है तो वो दिखते भी नहीं हैं? तो बहुत ऐसी चीजें होती हैं जो कहने में करने में बहुत फर्क होता है। या कुछ चीजों की बहुत थिनलाइन होती हैं। जो समझना बहुत मुश्किल होता है।
Laxmi Dixit
@vicharnama · 3:13
अगर हम किसी की नॉर्मल लाइफ में इतना ज्यादा इंटरफेयर करे कि वो बंदा या बंदी अपनी नॉर्मल लाइफ न जी पाए। उसकी समझ को हम बार बार क्वेश्चन मार्क? लगाए? उसके 9 फॉर्मल लाइफ को अपनी तरह से शेड्यूल करने की कोशिश करें। तो ये पोजिटिवनेस है। इन द रियल सेंस। ओवर प्रोटेक्टिव होना ही पोजिटिवनेस है। और प्रोटेक्टिव वहीं तक ठीक है जहाँ तक वो किसी को नेगेटिव एफेक्ट न करे। क्योंकि हर किसी को राइट है। अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने का सो देट। सॉल। फॉर टुडे होप यू विल, रिस्पॉंड टो माई सेल्फ, टू थैंक यू मैम।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:49
ताकि ये लाइन और मोटी न होते जाए। क्योंकि अगर हम चीजों को अपने अंदर रखते गए तो ये जो हमारा दिल है न इसका वजन बहुत ज्यादा हो जाएगा और बहुत ज्यादा हो गया तो शायद हम जी भी ना पाए।
Swell Team
@Swell · 0:15
थैंक यू सो? मच। मुझे अच्छा लगा कि मेरी चीजें आप तक बहुत ही क्लियर ली गई। और आप भी कहीं न कहीं इन चीजों से अग्री करते हैं कि कहीं न कहीं बहुत थिनलाइन होता है। और हमें उसको बहुत बारीकी से समझना पड़ता है कि उसका इंटेंशन क्या है? एक्चुवल में वो इंसान सच छुपा रहा है? या झूठ बोल रहा है? या वो पॉजिटिवनेस है? या प्रोटेक्टिव नेस है? सो? थैंक यू सो। मच अच्छा लगा। मुझे कि आप मेरी चीजों को समझ पाए?
हाई? प्रिया? फर्स्ट? फॉल? थैंक यू? सो? मच। आपने अपनी थॉट शेयर करी? और हां बिल्कुल। आपने सही बोला कि लेट गो करना भी कहीं न कहीं लाइफ में बहुत जरुरी है। क्योंकि अगर आप हर चीज का बाहर डालते जाओगे तो कहीं न कहीं वो भर जाता है। 1 दिन तो वो खाली होना भी बहुत जरूरी है। सो? थैंक यू? सो? मच? प्रिया। आपने? अपनी थॉट शेयर करी। मुझे बहुत अच्छा लगा। थैंक यू।