मैं वीणा आहूजा आज आपके सामने कुछ अपने विचार रखना चाहती हूँ जो खासतौर से सेल्फ सेटिसफेक्शन पर हैं आत्म संतुष्टि आत्म संतुष्टि का भाव उसी व्यक्ति में उभरेगा जो व्यक्ति सुलझी हुई सोच का होगा जिसके विचार सुंदर, सकारात्मक एवं परिपक्व होंगे उसकी सोच सागर की तरह गहरी एवं शांत होगी ऐसा व्यक्ति सदैव अपनी मस्त में एवं सदा आत्मभाव में संतुष्ट रहता है, खुश रहता है अपने मन को ऐसा साध लेता है कि कठिन से कठिन विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी वह अधिक अडोल एवं स्थिर रहता है अपने मन एवं तन को जरा भी प्रभावित नहीं होने देता बहुत उच्च स्थिति है यह व्यक्ति का स्थित प्रज्ञ होना ये स्थित प्रज्ञ शब्द का प्रयोग श्री कृष्ण ने गीता के अंदर भी किया है कैसा होता है स्थित प्रज्ञ व्यक्ति जो कि किसी भी परिस्थिति में डावा डोल नहीं होता, अपने सहज भाव में रहता है सारा प्रयत्न हमारा ऐसी स्थिति तक पहुँचने का ही है जहाँ न दुख है, न चिंता, न डर, न विषाद बस केवल आनंद ही आनंद ऐसा व्यक्ति सब के सुख दुख में शामिल होगा सबको अभय दान देगा न किसी से डरेगा और न ही किसी को डराएगा सदाचारी होगा वे जो व्यक्ति आत्म संतुष्ट नहीं वो सदा अंदर ही अंदर घुटता रहेगा दूसरों को भी कष्ट ही देगा आत्म संतुष्ट व्यक्ति समर्थ होने पर भी दूसरे व्यक्ति पर प्रहार न करेगा न कटुवाणी से ही और न ही तीर तलवार से ये है महानता 1 व्यक्ति की प्राणीमात्र का सहयोग एवं हितैशी होगा ऐसा आत्म संतुष्ट व्यक्ति आत्म संतुष्टि 1 ऐसा वरदान है जिसको मिल गया वे सर्वदा प्रसन्न खिला खिला आनंदित एवं शांत रहता है यह अचूक खजाना पा जाता है खुद तो खुश संतुष्ट रहता ही है ऐसा व्यक्ति औरों को भी अपने बोलों से ठंडक शीतलता पहुंचाता है, सुक** पहुंचाता है उसका साथ सब पाना चाहते हैं उसके पास सब बैठना चाहते हैं ताकि वे भी उसकी तरह जीवन में सुखी एवं संतुष्ट रह सके।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:27
बिना में आपने बहुत अच्छी बात कही और ये सच है कि इंसान जब अंदर से सुंदर होगा तो वह शांत भी अपने आप बनने लग जाता है क्योंकि वह बाहरी व्यक्तियों से जो उनकी तरह नहीं बन सकते, जिनके अंदर क* चाहिए उनसे वो उलझना नहीं चाहता वो बस मुस्करा कर छोड़ देता है तो आपका सवाल मुझे बहुत अच्छा लगा।
veena ahuja
@veenaahuja · 1:00
नीलम जी आपने मेरा ये स्वेल आत्म संतुष्टि बहुत ध्यान से सुना है और बहुत अच्छा क*ेंट भी दिया तो ऐक्चवली आपके अपने विचार भी बहुत सुंदर है मैं पढ़ती हूँ तो उसमें यही आपने या कि आत्म संतुष्टि जो है वो अपने आप में ही 1 बहुत सुंदर भाव है आत्म संतुष्टि होगी तो शांति होगी ही और मन सुन्दर होगा तो वो व्यक्ति अपने आप की मस्ती में ही रहता है शराब और मगन रहता है अपने में और खुशियां ही बांटता है और उसकी मस्ती कभी जाती नहीं हमेशा हर हाल में मस्त ही रहता है वो क्योंकि वह आत्म संतुष्ट है तो आपने सराहा मेरे भाव को थैंक यू वेरी मच नीलम जी थैंक यू।