मैं वीणा ऊजा आप सबको अपनी 1 कविता सुनाना चाहती हूँ जिसका शीर्षक है मेरे मन मेरे मन रे मन मेरे तुम उदास न होना रे मन में रे तुम उदास न होना जीवन के गलियारों में सुख दुख तो आएंगे ही जीवन के गलियारों में सुख दुख तो आएंगे ही हार जीत भी होगी मान अपमान भी मिलेगा ही पर उनको जीवन का ढंग मत बना लेना पर उनको जीवन का ढंग मत बना लेना रे मेरे मन तुम उदास न होना तुम संभल से सबके साथ अपने सुख दुख बांट लेना तुम संभल से सबके साथ अपने सुख दुख बांट लेना और उन्हें भी जीने का सहारा देना और उन्हें भी जीने का सहारा देना मेरे मन तुम कभी उदास न होना मेरे मन तुम कभी उदास न होना संभाल लेना अपनी जीने की राह को संभाल लेना अपनी जीने की राह को और उससे समझौता मत करना कभी और उसमें समझौता मत करना कभी मेरे मन तुम उदास न होना मेरे मन तुम निराश न होना हो सकता है तुम टूट भी जाओ कभी कभी हो सकता है तुम टूट भी जाओ कभी कभी कुछ चोटें खाकर इस दुनिया में अपने पराए दोनों की ही पर अपने अंतर मन को धोखा कभी मत देना बस मेरे मन तुम उदास न होना तुम निराश न होना ढाढस बंधाना उन बिखरे हुए लोगों को ढाढस बंधाना उन चोट खा ए हुए लोगों को जो तुमसे भी ज्यादा पीड़ा में हैं दर्द में हैं उनका हाथ थामे रहना उनका हाथ थामे रहना यह मेरे मन तुम उदास मत होना तुम कभी निराश मत होना इस जीवन के पग पर कई टेढ़े मेढ़े रास्ते आयेंगे इस जीवन के पग पर कई टेढ़े मेढे रास्ते आयेंगे संभल संभल कर अपनी मंजिल की ओर तुम आगे ही आगे बढ़ते रहना रे मेरे मन तुम उदास मत होना तुम निराश मत होना मंजिल मिल जाएगी तुम्हें चलते चलते मंजिल यूँ ही मिल जाएगी तुम्हें चलते चलते सबके हित में सोचते सोचते बढ़ते बढ़ते फिर मिलेगी तुम्हें अनंत उजास फिर मिलेगा तुम्हें अनंत उजास उजाला बस संभाले रहना इसे फिर मिलेगा तुम्हें अनंत उजास उजाला बस संभाले रहना इसे रेम्य मेरे तू उदास मत होना रे मन मेरे तू कभी निराश मत होना।
Discover_With_ Mamta
@Mamta09 · 1:19
नमस्ते? विना। मैन एंड? क्या? सुंदर। कविता लिखी है। आपने? बहुत सुंदर है। मैं। पूरी कविता ही बहुत सुंदर है। ब*? मुझे सबसे ज्यादा जो पसंद आया कि ऐसा तो आपने सही कन्वे किया है? कि मन उदास नहीं होना। पर आपने इसमें 1 बहुत अच्छी लाइन बोली है कि चाहे कुछ भी हो जाए अपने अंतर मन को धोखा। मत देना। इट इज लाइक? आपने? मिरर? बताया। हमारा। अंतर मन। हमारा आईना होता है। हमारा दर्पन होता है।
veena ahuja
@veenaahuja · 1:30
आपके अंतर मन में? क्या चल रहा है? तो लाख छुपाओ आप? लेकिन फिर भी 1 झलक तो मिल ही जाती है। आपके विचारों से कि आपके भीतर क्या चल चल रहा रहा है? है? तो बहुत अच्छा लगा कि आपने इतने ध्यान से यह कविता सुनी। तो अच्छा लगता है कि हम लिखते हैं। और कोई सुनता है? कोई पढ़ता है? तो इसी में कविता लिखने की सार्थकता है और बहुत प्रेरणा मिलती है और आगे काम करने की। थैंक। यू वेरी मच ममता जी।