दोस्तों आज मैं आपको 1 अपनी कविता सुनाना चाह रही हूँ जिसका शीर्षक है एहसास एहसास कभी कभी घूमने चली जाती हूँ बचपन की गलियों में कभी कभी घूमने में चली जाती हूं बचपन की गलियों में वहां अब काले शहतूत से लदा पेड़ नहीं दिखता पर हां उनका खट्टा मीठा रसीला स्वाद जरूर आ जाता है जुबान पर वहां अब काले शहतूत दूध से लदा पेड़ नहीं दिखता पर हां उसका खट्टा मीठा रसीला स्वाद जरूर आ जाता है जुबान पर खयालों में बैठ जाती हूं उस खिड़की पर जहाँ सुबह शाम उसे आते जाते देखना मेरी डेली रूटीन में शामिल था खयालों में बैठ जाती हूं उस खिड़की पर जहां सुबह शाम उसे आते जाते देखना मेरे डेली रूटीन में शामिल था वो भी अब वहां नहीं रहता पर एहसास तो बाकी है वह भी अब वहां नहीं रहता पर एहसास तो बाकी है अभी भी उसकी मीठी नजरों का अतीत में चला गया सब कुछ पर क्यों नहीं हो जाती मेरी यादें विलीन उस अतीत में अतीत में चला गया सब कुछ पर क्यों नहीं हो जाती मेरी यादें विलीन उस अतीत में क्यों मीठा मीठा एहसास दिला जाती है उस जमाने का क्यों मीठा मीठा एहसास दिला जाती है उस जमाने का जब मां के हाथ की चुपड़ी रोटी दुनिया का सबसे स्वादिष्ट व्यंजन होती थी जब मां के हाथों की चुपड़ी रोटी दुनिया का सबसे स्वादिष्ट व्यंजन होती थी दुनिया देश घूमे बहुत पर माँ के हाथ की रोटी का स्वाद न मिला कहीं पर माँ के हाथ की रोटी का स्वाद न मिला कभी न मिला कहीं सौगातें बहुत हैं अब मेरे पास कीमती कीमती तो फिर भी बहुत पर उसकी दी हुई पार्कर पेन अब भी सहेजा हुआ है मैंने पर उसकी दी हुई पार्कर पेन अब भी सहेजा हुआ है मैंने 1 अनमोल तोहफा समझकर एहसास ही तो सौगात हैं जिंदगी के बिना उनके भी भला कोई जिंदगी है एहसास ही तो सौगात हैं जिंदगी के बिना उनके भी भला कोई जिंदगी है यादों की गठरी से भरी यादों की गठरी से भारी कोई शै नहीं होती ता उम्र जीते हैं हम उसी हाशिय पर जहां मां बाप ने उंगली पकड़कर बैठाया था सिखाया था कोई भी जहाँ हमें अपना या बेगाना नहीं होता कोई भी जहां में अपना या बेगाना नहीं होता दिल मिल जाता है जिससे उससे प्यारा फिर कोई हमसाया नहीं होता दिल मिल जाता है जिससे 1 बार उससे प्यारा फिर कोई हमसा साया नहीं होता जिंदगी की राहों पर चलते चलते सीखा है 1 ही सबक जिंदगी की राहों पर चलते चलते सीखा है 1 ही सबक प्यार दिए बिना कोई भी तुम्हारा नहीं होता कोई भी तुम्हारा नहीं होता प्यार दिए बिना कोई भी तुम्हारा नहीं होता कोई भी तुम्हारा नहीं होता।
Sreeja V
@Wordsmith · 1:21
बहुत ही सुंदर पुरानी यादों की 1 लहर सी उठी मन में। और अच्छा लगा। सुन के थैंक यू सो मच। और ये जो एहसास है। आपने। बहुत सही कहा है। अहसास रह जाती है मन में। मुझे याद है कि मैं मेरे बचपन के कुछ समर। वेकेशंस जब मैं मेरे नानी के यहां जाती थी। और उनके घर का 1 हर 1 हिस्सा जो है। है अभी? तो हम वो घर नहीं है हमारे पास। लेकिन फिर भी उस घर के साथ मेरी इतनी यादें जुड़ी हैं। और वो एहसास ही बचा है उसके प्रति।