1981 के ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध पंजाबी कवित्री, कथा लेखिका अमृता प्रीतम को पुरस्कार मिलने पर उनकी पहली प्रतिक्रिया थी मैंने जिंदगी से कुछ कुछ लेने की बात कभी सोची ही नहीं क्योंकि इससे देने की प्रक्रिया प्रभावित होती है मैंने अपनी कल्पना को 1 रचनात्मक मोड़ दे दिया है और स्वयं को कुछ पाने की इच्छा से मुक्त कर लिया लिया है मान सुच्चे उस्कद हैं हुनर दा दावा नहीं मुझे अपनी सच्ची मुहब्बत का गुमान है हुनर का नहीं जिन्होंने देना सीख लिया फिर लेना उनके लिए कोई मायने ही नहीं रखता उन्हें किसी से कुछ भी लेकर तृप्ति नहीं होती बल्कि दूसरों को कुछ देकर ही उन्हें सच्चा आनंद मिलता है जिंदगी से कोई शिकवा शिकायत नहीं होती ऐसे लोगों को हां वो शुकराना करना जरूर सीख जाते हैं वो पल पल शुकराना हर शै के लिए शुकराना करते हैं हर दम नतमस्तक कृतज्ञ रहते हैं ऐसे लोग ऐसे महान व्यक्ति स्वतंत्रता के हिमायती होते हैं, स्वयं भी स्वतंत्र रहते हैं एवं औरों को भी स्वतंत्रता देने के पक्ष धर होते हैं ये न किसी किसी को बांधते हैं और न हीं कहीं किसी से बंधते हैं तुम भी 2 बांटो प्यार मुहब्बत समय धन सहयोग, शांति सहानुभूति और बदले में पाओ अपार सुक** और संतुष्टि याद रखो जितना बांटते जाओगे उतने ही तुम्हारे खजाने लबा लब भरते चले जाएंगे क* है अगर तुम्हारे पास फिर भी जो कुछ भी है तुम्हारे पास बाँटना सीखो उसे।
Discover_With_ Mamta
@Mamta09 · 1:05
ह**ो मैम मैंने आपका कोर्ट सुना मेरे साथ हमारी स्वेल मेट ने शेयर किया एंड आपकी 1 लाइन इतनी अच्छी है कि जितना बांटोगे जितना दोगे उतना ही सुक** है लाइफ में तो ये लाइन एक्च्वलली हिट करती है मुझे कि देना सीखो जो मिलना है वो ऊपर वाला जरूर देगा तुम चिंता मत करो तो हां आपार सुखून है लोगों को देने में खुशियां प्यार बदले में उनसे क्या मिल रहा है न उसकी इच्छा न करें तो वो और सुक** का मार्ग बन जाता है शुरू में थोड़ी तकलीफ होती है लेकिन अंतत इतना सुक** मिलता है न कि हम अपनी जिंदगी में कुछ करने से पीछे नहीं रह गए तो आपका ये जो सेल है न मैं यह बहुत बहुत बहुत अच्छा है थैंक यू सो मच की शेयरिंग।
veena ahuja
@veenaahuja · 4:34
शायद उसी वजह से। आज इतना कुछ पा रही हूं। शायद उसी वजह से। आज इतना कुछ पा रहे हैं। जिसकी कभी सपने में भी कल्पना न की थी। जिसकी कभी सपने में भी कल्पना न की थी। न ही मेरी कोई औकात थी। और छोर से रहमत की बरसात हो रही है। यही चाहती हूँ कि थोड़ा बहुत सबको गरीब, अमीर, छोटे, बड़े, मित्र, सम्बंधित, लाचार। अनाथ सब के दिलों में झांकती रहूं। सबके दिलों में झांकती रहूं।
veena ahuja
@veenaahuja · 1:16
थैंक? यू? ममता जी? आपको मेरा पसंद आया? बांटना सीखो? ये जीवन की वास्विकता है? ऐसा ही होता है? बिल्कुल? होता है? ऐसा ही। तुम्हारे पास। अगर क* है? तो क*? अगर दोगे। न? तो उसके बदले आपको मिलेगा ही। और अनकंडिशनल लव? या कंडीशनल? जब भी हम कुछ करते हैं? न? किसी के साथ। अच्छा? तो उसका जो रिजल्ट होता है वो मार्वलस होता है। आप उसको अंदाजा नहीं लगा सकते। अगर आप किसी को निस्वार्थ भाव से प्यार करते हो?