@urmi
Urmila Verma
@urmi · 2:29

आई श्याम मस्तानी

article image placeholderUploaded by @urmi
मुकुलित प्रमुदित, पावस, ऋतु की हर घड़ी हुई। सुहानी। तेरी प्रीत के रंग में। देखो? रंग गई। मैं दिवानी। रंग गई। मैं दिवानी। तेरा मेरा प्रेम। अमर है, तेरा मेरा प्रेम। अमर है, आत्मा का यह अटूट बंधन है। आत्मा का यह अटूट? बंधन है। मीरा की भक्ति हो। जैसे मीरा की भक्ति हो, जैसे हमारी प्रीत हुई। रोहानी। तेरी प्रीत के रंग में। देखो। रंग गई। म दिवाने। रंग गई। म दीवाने।

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@Heart_sayer
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 1:37
जब खुले आसमान के बीच ठंडी हवाओं में उस खूबसूरत चांद को दे। चमचमाते। तारें। रौशनी करके हमारे दिल को एकदम दीवाना कर देते हैं। एकदम मस्तानी रात बना देते हैं। और दिल की बातें बया हो जाती है। इसलिए हमेशा हर कोई लेखक हो या लिखेगा। प्यार की बातें। हमेशा रात को शाम को ही देख कर करते हैं। और असलियत में भी देख लो। जब भी हम 2 बातें गुफ्तगू करने की चाहते हैं। तो पूरे दिन को छोड़ हम उस रात को ही चुनते हैं। उस खुले आसमान के बीच।
@SPane23
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:36
और चांद की चांदनी जितनी प्यारी होती है। प्रेमी प्रेमिकाओं को। और राइटर लेखक कवि कवित्री? जो भी है उनको सम और रातें उतनी ही प्यारी होती है जितनी प्यारी चांद को। उसकी चांदनी होती है। और आपने बहुत सुंदर से अपनी कविता में प्रेम का, मौसम का और शाम का जो अद्भुत वर्णन किया है। बहुत प्यारा लगा। सुन कर। मन खुश हो गया। मस्त हो गया। जैसी। आपकी शेष है। आई शाम। मस्तानी बहुत अच्छी लगी। थैंक।
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