उनको। मेरे विचार। कुछ न पसंद है। उनको। मेरे विचार। बस। खटर। पटर होती। दिन भर। बस। खटर। पटर होती। दिनभर। लगता है? प्रेम हो गया। तिरोहित। लगता है? प्रेम हो गया तिरोहित। फिर जाने क्यों? हृदय हो जाता द्रवित। फिर जानें क्यों? हृदय हो जाता? द्रवित। कुछ देर पहले जो लगते थे रूप। असुर। कुछ देर पहले जो लगते थे रूप। असुर। लगने लगते। वो। शिशु सम। अबूत लगने।
Jaya Sharma
@jayasharma · 2:18
हेलो? रमीला जी। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। नोकझोंक? देखा जाए तो हम सभी की जिंदगी में नोकझोंक चलती रहती है। पति पत्नी की नोकझोंक थोड़े समय के लिए होती है। फिर बाद में आपने सही कहा कि सब कुछ यथावत हो जाता है। और मैं कुछ इस तरह इससे व्यक्त करुंगी कि कभी चुप रह लेती हूँ? कभी सुना देती हूँ? कभी गुस्सा उनका सहन कर लेती हूँ? कभी खुद कभी वो मेरा गुस्सा सहन कर लेते हैं। बस इसी तरह जिंदगी चलती रहती है। और कहीं न कहीं इसी का नाम जिंदगी है।
नमस्कार उर्मिला। मैन। मेरा नाम कदंबरी गुप्ता है? मैंने अभी आपकी कविता सुनी। नोकझोंक मुझे बहुत अच्छी लगी। और मेरा यह मानना है कि नोक झोंक छोटी मोटी हो। और ज्यादा लंबी। न चले। वही सही है। क्योंकि छोटी मोटी नोकझोंक किसी दिन बड़ी नोक झोंक या बड़ी कहा सुनी में बदल सकती है। तो हल्की पुल की नोक जोक जो है वो ही सही है। और इसी के साथ मैं आपको यह कह सकती हूँ यही कहती हूं कि आप ऐसी लिखते रहिये और आपको हमेशा कामयाबी मिले।