@urmi
Urmila Verma
@urmi · 2:28

कैसा ये बंधन अटूट

article image placeholderUploaded by @urmi
नमस्कार? मैं उर्मिला? वर्मा। 1 नई कविता पेश कर रही हूँ। कैसा? ये बंधन? अटूट? कैसा? ये बंधन टूट? प्रस्तुत? है? है? कैसा? ये बंधन अटूट? है? कैसा? ये बंधन? अटूट? न टूटे? ये तन जाए छूट? न टूटे? ये तन। जाए छूट? परिणय, सूत्र में, 2 हृदय, बंधे परिणय, सूत्र में, 2 हृदय बंधे। जन्मो जन्मों के तार। जुड़े, जन्मो जन्मों के तार।

#collegevoiceofindia #poetofswell #swellcast #marriedcouple

@Shilpi-Bhalla
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:17
नमस्कार? उर्मि जी। आपने बहुत सुन्दर शब्दों में परिणय सूत्र के सम्बन्ध को खूबसूरत शब्दों में उकेरा है। आपने। इसको बहुत अच्छे से प्रस्तुत भी किया है। बहुत बहुत सुन्दर कविता थी।
@SPane23
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:16
आपका चयन रहता है। बहुत सुंदर भाव रहते हैं। उसमें भी। अपने परिणय सूत्र का। जो परिभाषा दिया है। बहुत ही अच्छा दिया है। क्यों? शादी होती है? और कैसे? 1 दूसरे के साथ जिंदगी व्यतीत हो जाती है। और 1 दूसरे को हर जन्म में पाने की। जो भिलाषा लोगों की होती है? कामना होती है। उसका। बहुत सुंदर सा ब ने व्यक्त किया है। बहुत अच्छी कविता थी। थैंक यू।
@Angel3110
SHREYA SAHA
@Angel3110 · 1:20

#replied #swell

नमस्कार? उर्मिला जी। मेरा नाम श्रिया रहा है। मैंने। आपकी। ये जो कविता है, कैसा? ये बंधन? अटूट? इसको पूरा सुना? कितने बेमिसाल तरीके से आपने? 2 दिलों के बंधन को? या फिर जब 2 दिल जुटते हैं? शादी के बंधन में। उस गृहस्त जीवन को, उस संसार को? आपने प्रकट किया। अपनी कविता में। कितने अच्छे तरीके से। अपने शादी के मतलब को। हम सबको समझाया। कितने अच्छे तरीके से अपने गृहस्त जीवन की। 1 कहानी हमारे सामने। प्रस्तुत की। सच में। आप। जैसे लोग।
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