@urmi
Urmila Verma
@urmi · 2:30

बचपन की यादें

article image placeholderUploaded by @urmi
नमस्कार मैं उर्मिला। वर्मा 1 नई कविता प्रस्तुत कर रही हूँ। बचपन की यादें। प्रस्तुत। संजो कर रखी है। हृदय में। बचपन की यादें। संजो कर रखी है। हृदय में। बचपन की यादें। काश। कोई उन पलों को दोबारा फिर से ला दे। काश कोई उन पलों को दोबारा फिर से ला दे। वो तितलियों के पीछे भागना। वो गुड़ियों का खेल। वो तितलियों के पीछे भागना। वो गुड़ियों का खेल। गिरगिट से डर जाना। वो अंत्याक्षरी का खेल। गिरगिट से डर जाना। वो अंत्याक्षरी का खेल। पढ़ने से जी? कभी नहीं।

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@Kushagraverma
Kushagra verma
@Kushagraverma · 1:32
और फिर कॉपी शुरू हुई? तो फिर वो चीज तुम अभी मिस करती हैं। और गिरगिट से ज्यादा। तो मुझे अच्छी पकी हो से अभी भी डर लगता है। कुछ बचपन के आगे हैं जो अब तक साथ हैं। और कुछ बचपन की यादे बचपन में ही हो जाती है। बहुत अच्छा लिखा आपने। और मतलब सारा ही जो आपने बारिश। और मतलब। ऐसा आपने लिखा है कि मन में खिलावट आ गई है। और ऐसा लग रहा है कि बस बचपन के दिनों में खो जाए। बचपन की यादों में ही खोए रहे? और बचपन की याद को ही बस याद करते रहे। ऐसी आपकी? इंस्पायरिंग और इंटरस्टिंग कविता है।
@Angel3110
SHREYA SAHA
@Angel3110 · 1:22

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हेलो? उडमिलाजी? आपकी ये जो बचपन की यादों का पिटारा? है न? ये मतलब बहुत बहुत खास है। जिस प्रकार आपने अपनी अपनी बहुत निजी बचपन की यादों को इस कविता में प्रस्तुत किया है। मतलब मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं कैसे समझाऊं की आपने कितनी अच्छी तरह से किया है। मुझे आपकी कविता सुन कर ऐसा लग रहा था कि मालूम मैं आपके बचपन में चली गई हूँ। और आप जो जो कह रही है वो सारी चीजें मैं कर रही हूँ। मतलब आप इतना अच्छे से आपने बोला है कि मुझे लग रहा है कि मैं आपके बचपन में चली ही गई हूँ और आपके बचपन को दोबारा में ही जी रही हूँ। तो 1 कविता ये बहुत अच्छा?
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