Urmila Verma
@urmi · 2:18
29 जून 2023 की संध्या
मुद्रा में। शाखाएं रही थी। झूल। वरक्षावली भी। प्रसन्न मुद्रा में। शाखाएं रही थी। छूट खग विहग। उड़ रहे थे। खग विहग। उड़ रहे थे। मस्ती में। लहराते से। मस्ती में। लहराते से। जैसे अपने ही नीड को गए। हूं फूल। जैसे। अपने ही डिड को गए। हूँ भूल। नन्ही। नन्ही। बूंदें भी। गिरने। लगी। नन्ही। नन्ही। बूंदें भी। गिरने। लगी। झरोके में। खड़ी। मैं। झरोके में। खड़ी में।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:18
नमस्कार रुणमिलामेंअपने परस्तों। कविता में वर्षा रितु को बहुत ही सुन्दर से प्रण किया। तार की साहित्यक हेमली शुद्ध हिंदी के पुलिस शब्दों का भी प्रयोग किया है। बहुत दिनों बाद ऐसी हिंदी सुनने को मिला सुनकर अच्छा लगा। और तुझ पर आई शब्द भी। मिले। जो स्कूल के दाम पढ़ा हुआ था। वो याद आ गया। और अपने पर्सनल। बहुत अच्छे से किया है। की पक्षी किस तरह से लहराते हैं। नाचते हैं। की अपने बोतले को जाने को भूल जाते हैं। और कभी कभी छत पे चले जाते हैं। अच्छी और चल रही है। आपकी।