Urmila Verma
@urmi · 2:27
भक्ति रस में रम गया
मैं, करूं, करूँ, साधना, ईश तेरा अर्चन में, करूँ? करूं साधना। ईश। मुझे शांति। वर। 2। प्रभु है मेरे जगदेश। मुझे शांति। वर। 2 प्रभु है मेरे जगदीश। चरणन में, तू? चला जा, मिले संपदा। असीम चरणन में? तू चला जा, मिले संपदा। असीम? क्यों? भटके? इत। और। तो। लक्ष्य है कृष्ण महीन?
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:47
हेलो मिला। मै आपने भक्ति रस्त। परिपूर्ण बहुत ही अच्छी रचना सुनाई है। आपने अपने स्वर के माध्यम से संदेश भी दिया है कि मन के अंदर वन को त्याग कर हमें ईश्वर की सदन में खुद को समर्पित करके संयम पूर्वक जीवन जीना चाहिए। संयम ही सफलता की पहली सीढ़ी है और हमें सच में। परम शांति वहीं प्राप्त होती है जब हम स्वर के सदन में जाते हैं। धन्यवाद। आप इसी तरह की रचनाएं लिखते रहियेगा और हम सबको सुनाते रहिएगा।