कणकण दीप्त हो? उठता है? जब सहस्रांशु होते हैं? उदित? कणकण दीप्त? हो? उठता है? जब सहस्रांशु होते हैं? उदित? नया? सवेरा, नई रोशनी? नया होता है? दिवस? नया? सवेरा? नई रोशनी? नया? होता है। दिवस? सूर्य के आते ही कहा सिमर जाता है? तमस? सूर्य के आते ही? कहाँ से मर जाता है? तमस? धन्यवाद? इस कविता में। मैंने कहना चाहा कि जैसे रात होती है। कितना ही गहरा अंधेरा हो?
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:28
नमस्कार। मेला में। अभी। आपकी। कविता सुनी। आपने। जो बैरा इमेज दिया है। कि प्रभात की नई किरन। कुटी लाली, मा, संयुक। बहुत ही अच्छी लगी। आपकी। कविता भी बहुत अच्छी है। साथ ही हमेशा की तदाहिंडीकेसकाचयन भी कम है। आपने। सही कहा कि अंधकार जितना भी हो। 1 नए दिन। अवश्य छत। जिस प्रकार रात आती है। और उसके बाद फिर से पूर्ण सवेरा होता है।