नमस्कार? मैं उर्मिला। वर्मा। फिर। 1 नई कविता के साथ। उपस्थित। हूँ। कविता का। sीरkहैचाndनerाt। चांदनी। रात और चमेली के फूलों की भीनी। भीनी। खुशबू? चांदनी? रात। और चमेली के फूलों की भीनी। भीनी। खुशबू? चांदनी। रात। और फैलाओ खुशनुमा। हवाओं का जादू। चांदनी। रात। और फैलाओ? खुशनुमा। हवाओं का जादू। चांदनी। रात में हो रहा हो? नौका? विहार? चांदनी, रात में। हो रहा हो? नौका? विहार?
Kushagra verma
@Kushagraverma · 1:05
नमस्ते? आपने। चांदी रात के बारे में जो कहा है अपनी रचना में बहुत ही मनमोहक है। और बिल्कुल ऐसा लगा जैसे चांदी रात तो मेरे आँखों के सामने आ गई है। और रात के टाइम पे इसको सुनना और भी एक्साइटिंग हो गया। मेरे लिए। और बहुत 1 यूनिक्स आपने फीलिंग जगाई है अपनी रचना से कि चांदनी रात में क्या क्या होता है? और क्या क्या हो सकता है? और बहुत अच्छा। और जो आपकी आपने शब्द यूज किए वो बहुत ही ज्यादा मतलब मतलब बहुत कुछ जानने सीखने को मिलता है। आपकी रचनायें सुनती हूँ।