चरणों में। पैंजनिया की होती। रंजन। महावर चरणों में पैंजनिया की होती। रुंछनसप्तपदि। के फेरे लेती। पिया संग। दुल्हन। सप्तपदी के फेरे। लेती। पिया संग। दुल्हन। गृह प्रवेश, जब वधु का? होता है। पिया के द्वार। गृह प्रवेश, जब वधू का होता है। पिया के द्वार। बहुत से स्वप्न लेकर। बसाती। वो नया संसार। बहुत से स्वप्न लेकर। बसाती। वो। नया संसार। आशा करती हूँ। आपको। यह कविता। पसंद। आएगी।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:01
हेलो? उर्मिला। आपने। अपनी कविता में 1। पारंपरिक, भारतीय रुका न सी leka विषय vita बहुत ही अच्छा लगा। और आपने सही कहा है। जब कोई लड़की दुलन बनती है तो अपने साथ ढेर सारे सपने लेकर 1 नए घर में कोटरोवधुंकेरूप में प्रवेश करती है। अब धीरे धीरे समाज बदल रहा है तो उसके सपने संसार के संसार कैरियर की भी पूछ सकते हैं। आपकी। कविता बहुत अच्छी लगी। उसी तरह से कविता निकते रहेगा। और हम सबको सुनाते रहिएगा। धन्यवाद।
Jaya Sharma
@jayasharma · 0:48
हेलो। रमिला जी। आपकी। कविता बहुत ही शानदार थी। आँखों के आगे। दुल्हन का सुंदर रूप आंखों के आगे आ गया। बहुत ही अच्छा। 11। आपने। आभूषणों की चर्चा की। अपने का। जिक्र किया। आपने। इस कविता के। अंदर। बहुत ही अच्छी कविता। बहुत शानदार। कविता लिखी। आपने। 11। और सप्तपदी का। और पिया के घर। जब वो आती है तो उसके मन में जो भाव रहते हैं जिसे 16 श्रंगार के साथ वो आती है। इन सब बातों का।