Saumya Joshi
@thehilarytales · 1:58
बदलता समय, बदलता सब है
आप सभी को मेरा नमस्कार मेरा नाम सौम्या जोशी है और आज मैं स्वेल पे अपनी पहली कविता रिकॉर्ड करने जा रही हूँ समय तो हम सबको पता है न रुकता है न थकता है न सोता है न रोता है बस चलता है और बस चलता ही जाता है और साथ ही सब बदलता है और बदलता ही जाता है समय हमें सोने देता है रोने देता है हमें हंसने देता है हमें खेलने देता है थकने भी देता है पर रुकने रुकने तो नहीं देता मेरी कविता भी कुछ इसी विषय पर है जिसका शीर्षक है बदलता समय बदलता सब है आजाद निडर कुछ अपनी सी थी में मस्ती में खोई मां कहती डोई थी मुझे घृणा ईष्या की समझ ही नहीं बस दुलार प्रेम अपना पन लगते थे सही तब आँख मिचौली बर्फ पानी भाते थे अब किताबों के ढेर के बगल में ही सो जाते हैं मम्मी पापा के बिना रह नहीं पाते थे अब हॉस्टल के 1 अकेले कमरे में पनप जाते हैं आज यंत्र बहुत है पर वो अपनापन नहीं अनुभव अनेक पर निडर लड़कपन नहीं कामयाबी की दौड़ तो थी ही पर अब है सुक** की गलियों में जमीन की अब समझ है और होशियारी भी हर कठिन समय की तैयारी भी बहुत कुछ पाया पर खोया भी है बचपन ही नहीं बेफिक्री और मासूमियत भी धन्यवाद।