@TheDevilsHorse
Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 8:00

शायद से शुरू, शायद पे खत्म

article image placeholderUploaded by @TheDevilsHorse
नया। रिचुअल स्टार्ट करने की। सोच रहा हूँ, देखता हूँ कितना आगे तक ले जा। पाता हूँ। तो जो लास्ट टेन फॉलोअर्स जुड़े हैं। स्वेल प्लेटफार्म। में। मेरे से, उनका थे? दिल से धन्यवाद। और उनको में मेंशन करना चाहूँगा। खुशबू। सोनी जी। एल, मुंशी? चानिया, ब्लू, मानव, जसानी, सुषमा। वर्मा, रिपसीडोडेरजतर्ी। आपका। बहुत बहुत धन्यवाद। जी। सारिका, बहेती। शकीर, संतोष, गुप्ता जी। बहुत बहुत धन्यवाद। आप लोगों का।

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@GreyMatter
Himanshi Thakur
@GreyMatter · 5:00
और यह तो मेरा भी मानना है कि ये शायद के चक्कर में बहुत रिलेशनशिप खराब होते हैं। क्योंकि हैं तो हम सभी। ओवर थिंकर्स। और शायद ऐसा हुआ होगा शायद यह हुआ होगा शायद वो ये फील करता होगा शायद मैं ये शायद वो ये फील करती होगी शायद ऐसा है शायद वैसा है। वो। हम मन में ही कहानियां बुनते चले जाते हैं और उसका प्रभाव सीधे सीधे हमारे एक्शंस पर जैसे लेट से।
@GreyMatter
Himanshi Thakur
@GreyMatter · 1:33
फिर समय खत्म हो गया और पता नहीं चला तो वह बोल रही थी। make i believe in not keeping the convisisionsi hanging in the mid and not geng the feelings hanging in the mid बट बहरहाल। आपने पोयम तो बहुत ही अच्छी लिखी है। आपने। वो। जो 1 पेन है, वो फ्रस्ट्रेशन है। वो शायद में रहने का। वो, बीच में लटके रहने वाला, जो फ्रस्ट्रेशन है। आपने। बखूबी एक्सप्रेस किया है इट वाज वन्डरफुल मीन।
@kadambarigupta
Kadambari Gupta
@kadambarigupta · 1:02
मैं रेट रिप्लाई। इसलिए कर। मेरे स्वेल में कुछ स्टोरेज का इशू आ गया था। बट? मैं बस। मैं इंतजार कर ही थी। कवि? ठीक? और कब? मैं? आपकी। मधुर। कविता। आपकी मधुर आवाज में सुन कर खुश हो जाऊं। थैंक यू सो मच सर एंड। मैं। बहुत बहुत कुछ नसीब। उस स्वेल कास्ट की कि मुझे आपके जैसा फ्रेंड और गाइड मिला। थैंक यू सो मच सर वन्स अगेन एंड। मैं उम्मीद करती हूं कि आप ऐसे लिखते रहेंगे और हमें सुनाते रहेंगे। बहुत बहुत नमस्कार? जयमातादी।
@Bibliophile
Gunjan Joshi
@Bibliophile · 2:52

@TheDevilsHorse

तो मैं इस कविता के बारे में ज्यादा बात नहीं करुंगी क्योंकि इसकी हर पंक्ति तो खूबसूरत है ही लेकिन यहाँ पर मैं 1 बात लाना चाहूंगी कि पिछली कुछ कविताओं से आपकी रचनाओं में जो स्त्रियों के प्रति संवेदनशीलता है वे बहुत उभर कर आ रही है। वो बहुत ही सराहनीय भी है क्योंकि मैंने हिंदी के लेखकों और कवियों में जो खासकर के जो उत्तर भारत के कवि हैं उसमें मैंने इतनी संवेदनशीलता कभी देखी नहीं स्त्रियों के लिए। क्योंकि उनका जो साहित्य और कविताएं हैं वो बहुत ही पुरुष प्रधान है।
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