Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 4:59
Ek Kahani - Meri Zindagi Ke Ansune Kisse - Episode 2 | "एक कहानी - मेरी जिन्दगी के अंसूने किस्से - एपिसोड 2"
मेरी जो स्टडीज थी। ठीक ठाक थी। अगर आप देखें की फर्स्ट और सेकंड के कमपैरिटिवली डिकलाइन पे थी और नौवीं कक्षा मतलब जिसे कहते हैं न-व-द लास्ट ने द कॉफिन उस वक्त पे तो नौवीं क्लास का पहला टर्म बुरे हालत इतनी बुरी हालत थी कि पास नहीं हो पा रहे थे। और हम 3 दोस्त हुआ करते थे इंटरनल में। और विजय तो मैं और विजय साथ बैठते थे। इन्टरनल पीछे बैठता था हमारे सचिन गिल के साथ।
Himanshi Thakur
@GreyMatter · 4:56
तो आप ये नहीं कर सकते कभी गाल में कूद रहे हैं कभी उस डाल में कूद रहे हैं you have to have क्लैरिटी हैव टू वर्क फॉर इट तो वो जल्दी मिले बाद में। मिले। कैसे मिलता है वो सिर्फ सेकेंडरी डिस्कशन है तो यह बात तो बिल्कुल सही है मेरे साथ। पर्सनल एक्पीरियंस है कि मुझे बचपन से पता था करना क्या है बट कैसे करना है वो गाइडेंस देने वाला
preethy uthup
@peeli · 1:14
hi this this is really and inspiring one and two ly amazing that i know that guy had the clarity at the age of i mean and the nine standard and made it as a photographer and that to in a bigger level like you know he is done i would say and yeah you could really courted because its me our life and truly truly inspiring and you know it
लाया? डॉक्टर इंजीनियर ही ऑप्शन होते थे? अब इतने सारे ऑप्शन है? तो पता नहीं होता? दूसरा होता है की फ्रेंड्स की सुने की अपनी सुने साइंस ले की कॉमर्स ले? तो ये बहुत मुश्किल है। मेरी तो बहुत डायरेक्शन चेंज हुई है। लाइफ में। अभी चीजें पोएट। बहुत वो हो गए। बहुत सारी सोर्सेज होंगे। बहुत सारे ऐप्स हो गए। पहले। ऐसा नहीं था, कोई सवाल नहीं था? कोई कुछ नहीं था। यू ट्यूब भी। इतना ज्यादा नहीं था। आजकल यू ट्यूबर भी होना। 1।
Satish Verma
@Adhoora · 0:25
हेलो सरजी आपने बिल्कुल सही कहा सर कि गोल हमारा क्लियर होना चाहिए बिना गोल क्लियर हुए आदमी वैसा ही रहता है जैसे ठहरा हुआ पानी। जैसे पता नहीं कहां पहना है तो बहुत बहुत धन्यवाद। आपका सर। और आपके दूसरे एपिसोड का इंतेजार रहेगा। थैंक्यू सो मच सर।
और जब मैं मैं टेंट तक भी डिसाइडेड था कि मैं वाईपीसी लूंगी पर जब इंटर में गई। जब एप्लीकेशन भरना था तो अचानक से सब की वजह से, सबकी ओपिनियंस की वजह से और फिनेंस की वजह से भी एमिन फिनेंशियल ली। कुछ इशूज थे जिसकी वजह से मुझे एम पी सी में शिफ्ट करना पड़ा। तो अचानक से जो मैं मेरा गोल था। मुझे लगा कि यह मैं अचीव नहीं कर पा रही हूँ। और बाद में मुझे लगा कि अगर हम कुछ करना चाहे तो हमें सिर्फ इसी प्रोफेशन में रहना है। ऐसा कुछ लिमिटेशन नहीं है। जो भी करना है।
Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 2:32
मुझे माध्यम सी ऊपर हो के है। मेरा साहस। मेरा जो थर्ड प्रोसेस है। और स् होते जा रहा है। और मुझे लग रहा है की मुझे कंटिन्यू रखना चाहिए? मैं ग्रो करना चाहूँगा? अपनी लाइट को लांस करना चाहूँगा? करना चाहूँगा। आपके बीच लेके। आना। चाहूँगा? तो किसी भी चीज के लिए नहीं। सवेरा सवेरा को। हमेशा। आप। किस भी। आपको। जो ठीक लगे। आपका। कि थैंक यू सो। मच। आप। हमेशा अपना। मत निकालती है।
Swell Team
@Swell · 0:15
Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 0:37
प्रतीश तुम्हारी जो गहन बातें, जो इतनी सरलता से कह जाते हो मैं मेज ठहरे हुए पानी की तरह क्या क्या परस्पेक्टिव एड कर दिया क्या सोच और गहन कर दी। तुमने। इतनी। ऐसे ही करते रहो तुम्हारा काफी बिजी चल रहे हैं। मुझे। बताया सतीश बट। 1। अपनी पोएट्री लाने की कोशिश करो। है अच्छा लगेगा। तुम्हारी। आवाज में। मिलता हूँ। तुमसे किसी और शो में बाई बाई