कहानी :-बिना अपराध की सजा,यह कैसा कानून ( पार्ट -1)
बिना अपराध के? सजा? ये कैसा? कानून? आज मैं 1 कहानी लेकर आई हूं? जिसका टाइटल है? बिना अपराध के? सजा? ये कैसा? कानून। तो आइए शुरू करती हूँ। इसका पार्ट वन। सुबह? सुबह? दरवाजे पर घंटी। बजने की। आवाज? सुनाई दे। तो? वसुंदरा के मुंह से निकला? अब इतनी सुबह? कौन आ गया? सोने भी नहीं देते। सुबह के। 6 बजे का समय हो रहा था। वसुंदरा। नींद में। सपना देख रही थी। तभी घंटी बज गयी थी।
Lakshmi Soni
@Lakshmi.soni_14 · 1:30
और संहारती हूँ कि आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहे और भी बहुत सारी स्टोरीज में आपसे सुना यही मैं आशा करती हूँ। और इसका सेकेंड पार्ट में सुनना चाहूंगी कि क्या गया? आखिर क्या हुआ? और मैं आपके सेकेंड पार्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाई देती हूं कि फटाक से आपका सेकेंड पार्ट आ जाए और मैं इस स्टोरी को पूरा सुन पाऊं ऐसी ही मेरी इच्छा है। और आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहे और ढेर सारे एफर्ट्स लगा के हमारे लिए ऐसे प्यारे प्यारे स्टोरीज लेकर आये ऑल दी बेस्ट। फॉर योर, न्यू, स्टोरी।
SHREYA SAHA
@Angel3110 · 0:37
सो? ह**ो स्वाती जी। मैं श्रिया हूँ। आपका जो कहानी है यह बहुत सुन्दर लिखा है। आपने। यह कहानी अभी तक कंप्लीट नहीं हुई है? आप रही हूँ। अब सेकेंड पार्ट लेकर। आओ। थोड़ी सी मिस्टीरियस है की ऐसा क्या? बताने आये हैं? वो? दरोगा? साहब? आपको? वो भी? आपने। आपके? पति? के के 8 साल बाद? मृत्यु के बाद। जो आपके पति को जानते थे। तो ये सुनने के लिए। मैं भी। वेट करूंगी आपके पार्ट टू के लिए।