बेटियां कब बन गई बोझ समाज पर
समाज के? बाल विवाह? कर? मासूम? ने? रौंद दिया? इस समाज में? न? वो? जानें है? क्या? समाज? न समझ ससुराल की। न? जाने। क्या होता? पति? और न? खबर। सा। सुर की। क्यों। माँ? बाप भी करते खिलवाड़ हैं? उसके साथ? ये समझ? नहीं पाते? क्या? उसकी जिंदगी है? बेकार? ये बेटी? तो रखती दोनो घर का मान सम्मान है।
जहां लड़कियां पीछे हैं। लड़कियां आज टीचर हैं, डॉक्टर्स हैं? और कई कई क्षेत्रों में काम कर रही हैं। तो लड़कियों की जो जिंदगी है वह सिर्फ। पढाई। लिखा कर। उनका विवाह करना यहां तक सीमित नहीं है। लेकिन उनकी भी अपनी जिंदगी है। और शुरू से यही चलता है कि लड़के जो हैं। अगर मैं बात करूँ। मेल जो हैं वो उनकी ज्यादा अथ्योरिटी है। सोसाइटी में। वो डिसीजन भी ले रहे हैं? अलग अलग क्षेत्रों में काम भी कर रहे हैं। लेकिन अभी भी कई जगह हैं? जहां पर लड़कियों को पढ़ाई लिखाई से छुड़वा दिया जाता है?