कविता :-कभी यूं भी तो हो मैं याद करूं और वो आ जाए
कभी युविदहो। वो बांटे। मेरे दिल की हर दर्द को। कभी यूं भी तो हो। कभी यूं भी तो हो, जानें मेरी छोटी छोटी बातों में छिपे गहरे दर्द को। कभी यूं भी तो हो। कभी। जो भी हो। मैं याद करो। और वो आ जाए। थैंक यू। मैंने यह कविता लिखी थी कि कभी कभी कभी ऐसा होता है कि हम सबके लिए सब कुछ करते हैं पर हमारा भी मन करता है कि कभी हमें भी कोई याद करे, कोई पूछे? तो बस। इसी ख्याल से। मैंने 1 गलत लिखी थी। अगर आपको पसंद आई हो या कुछ त्रुटी हो? तो मुझे रिप्लाई दे।
Disha Agarwal
@disha_aga05 · 1:29
ह**ो माम? आपकी जो ये फोन थी वो बहुत ही ज्यादा सुंदर थी। एंड ये। आपने जो कहा? वो सही? तो कहा? कि? कितनी बार होता है? कि कुछ लोग अपना सब दे देते हैं? इन फैक्ट? जितना वो दे सकते हैं? उससे काफी ज्यादा दे देते हैं? ताकि वो सामने वाला सिर्फ हमको नोटिस करें सिर्फ। उसको ये पता चले कि हम एग्जिस्ट करते हैं? या हम उसके दोस्त बनना चाहते हैं। एंड ये जो फील*** होती है यह बहुत ज्यादा। भले ही हमें दर्द तो होता ही है दुख भी होता है? बहुत ज्यादा।
Neelam Singh
@NEELAM · 0:42
बहुत सुन्दर कविता। आपकी। बहुत सुन्दर ख्याल। जो कि ख्याल नहीं है। 1 इच्छा है हमारे चंचल मन की। हमारे उदास मन की। 1 हमारे बच्चे मन की। जो बचपन में तो हमें माता पिता दे देते हैं हमारे दिल को भर देते हैं पर जब हम बड़े होते हैं तो हमें ये सब 1 खाम दम से चाहिए होता है। और उसका खालीपन जो होता है उसी की उसी के शब्दों को भरती हुई। ये कविता है आपकी जो बहुत सुंदर है।