हेलो? एवरीवन? दिस? इस सुप्रिया? तो आज हमारा क्वेश्चन है कि इंसान प्रेम की खोज में क्या रहता है? तो जैसा की मैंने आत्मा परमात्मा का अंश है। अपनी उस ऑडियो में बताया था। जब हम न्यूमन बॉडी में जन्म लेते हैं तो सब भूल जाते हैं लेकिन हम जो अधूरे हैं तो वो कहीं न कहीं हमें महसूस ही होता है और हम इसे दूसरे इंसान में ढूंढते हैं और इसे प्रेम का नाम दे देते हैं जो कि 1 अटैचमेंट है फिर हमें लेसन दिया जाता है और हमारी स्पेशल अवेकनिंग कराई जाती है ताकि हम जानें कि प्रेम हमारे अंदर है जो कि परमात्मा है और जब हमें यह रियलाइजेशन होता है तब हम परमात्मा को पूरी तरह सरेंडर होते हैं। थैंक यू फॉर लिसनिंग माई फेल?
Kaveri Bhatt
@kaveri_bhatt · 2:03
हाई सुप्रिया कावेरी तुम्हारी आवाज सुनकर लगी तुम 1 छोटी सी लड़की हो शायद हो मुझसे तो शायद डेफिनेटली छोटी होगी ब* इतनी छोटी उम्र में इस सच्चाई को फील करना बहुत बरी बात है अपने बारे में बताऊं तो मैं वृंदावन में रहती हूं और परमात्मा से प्रेम करने के लिए बेंगलूर का सब नौकरी वगैरह छोड़ के यहां आ गई 4 साल पहले कितना प्रेम कर पाई यह पता नहीं मुझे सुप्रिया पर कोशिश है क्योंकि कोई भी इंसान वो खालीपन भर नहीं सकता जो भगवान भर सकते हैं क्योंकि अनकंडीशनल और अनलिमिटेड नेवरएंडिंग एवर लास्टिंग ये जो कुछ शब्द हैं न जो हमारी आत्मा को चाहिए क्योंकि हमारी आत्मा एवर लास्टिंग है हमेशा के लिए है तो उसको हमेशा के लिए कोई प्यार चाहिए एवर इनक्रीजिंग चाहिए प्यार क* हो जाए हमें नहीं मंजूर तो ये जो हमारी आत्मा की खोज है निरंतर और वर्धमान मतलब बढ़ने वाली प्रेम वो नीट कोई इंसान फील नहीं कर कर सकता मान लो कोई इंसान मिल भी जाए हमें पर्फेक्ट वो कितना दिन जिएगा इसके बाद हमारे आत्मा का क्या होगा सोचो हमें तो वो उसका नाम भी याद नहीं रहेगा अगले जन्म में क्यूंकि पिछले जन्म के पति का नाम हमें याद है क्या या हम पति के शरीर में थे तो पत्नी का नाम याद है क्या तो परमात्मा ही प्रेम हैं उन्हीं से प्रेम करना है पर यह कहना बहुत आसान है कोई भी कह दे जो थोड़ा सा फिलोसॉफी में या स्पीरिचुलिज्म में होगा पर करना उतना ही मुश्किल है देखो आईविशयूआलदबेस्ट कि तुम्हें तुम्हें भगवान मिले ये जन्म आखिरी जन्म हो उतनी नॉलेज हो उतना वैराग्य हो उतना प्रेम हो कि तुम जिंदगी भर इस रास्ते पर टिक पाओ 1 बड़ी बहन होने के नाते दिल से दुआ करती हूं कनेक्टेड रहना क्योंकि मैं भी इसी रास्ते पर चल रही हूं राधे राधे।
Supriya Mitra
@supriya11 · 0:33
ह**ो कावेरी जी थैंक यू आपने मेरे पोस्ट का रिप्लाई किया कोई भी इंसान हमारे अधूरे पन को पूरा इसलिए नहीं कर सकता पूरा क्योंकि हमारे जीवन का उद्देश्य ही परमात्मा से मिलने के लिए है। हम उनका अंश हैं। जब हम यह जानते हैं, तो हम उन्हीं में मिलना चाहते हैं।