Sumran Jot Singh
@Sumranjs · 2:41
Kuch Kadam Aagey Sau Kadam Peechey
कुछ? कदम? आगे। सौ? कदम पीछे? ये जिंदगी? क* वक्त बढ़ती है? कैसे? कैसे? ये उलझन? सुलझाती? ही? नहीं? कभी आंखें खुलीं? तो कभी आँखें मीचे उम्मीद के वो। चौराहे? तकदीर के वो। मोड उम्मीद के वो। चौराहे तकदीर के वो। मोड़। असमंजस का दौर। हम कोशिश के सहारे? बहुत दूर तक तक चले। कभी सोच समझकर, कभी बिना पूछे। कुछ। कदम? आगे। सौ? कदम पीछे? ये जिंदगी? क* वक्त बढ़ती हैं? कैसे? कुछ? मेरी पंक्तियां? उम्मीद है? आप? सुनेंगे? और आपको पसंद? आएंगे शुक्रिया।
N M
@Nehakesaath · 0:57
ह**ो? सुमरन जी? बहुत बहुत शुक्रिया। आपका इतना खूबसूरत यू नो लिखने। और हमारे साथ शेयर करने के लिए। एंड बिल्कुल। सही बात है कि जिंदगी 1 उलझन है। और हम इसे जितना सुलझाने की कोशिश करते हैं और उलझती ही जाती है। बेहद ही खूबसूरत लिखा है। आपने थैंक यू सो मच। एंड बिल्कुल। मैं कहना चाहूंगी कि मुतमइन कोई नहीं है। उससे मुतमइन कोई नहीं है। उससे कोई बरहम है? तो खाहि। कोई। कोई। बरहम है? तो खाहि। कोई नहीं करती।
Sumran Jot Singh
@Sumranjs · 0:36
ह**ो? नेहा जी। आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपने। मेरी पंक्तियों को सुना और उसको सराहा। तहे दिल से शुक्रिया। आप। ने जवाब में जो पंक्तियाँ शेयर करी है वो भी? खoबsuरtil। हाजी इस तरीके से ये सिलसिला जारी रहे। आप कुछ सुनाए और हम कुछ सुने। और हम कुछ लिखें। और सुनाए। तो अच्छा लगेगा। एंड थैंक? यू सो? मच।