स्वर्ग के सभी साथियों को दशहरे। और विजयदश्मी की। मेरी हार्दिक सुभेक्षा। आज। इस पावन पर्व। पर मैं कुछ शब्दों को अपने कविताओं में पिरोया। और फिर मैंने ऐसा महसूस किया। क्यों? न? मैं अपने डोल के साथियों के साथ साझा करूँ? तो मेरी नई लेख आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। लम्हे? क्या तफतीश करूँ? मैं? उनके बारे में? क्या तफतीश करेंगे? वो? मेरे बारे में? दोनों की पलकें खुली हुई। कुछ लमहों के लिए। 1 साथ मिली। नजरें। उस लम्हे में।
हेलो? सुमित सरकार? जी। आपकी स्वैल। मुझे बहुत अच्छा लगा। जिस तरह आप को अपनी कविता के रूप में प्रस्तुत किए। मुझे बहुत अच्छा लगा। और जिस तरह आप लहके वर्णन किए। कुछ पल ऐसा होता है जिंदगी में यादगार बन जाते हैं। और उस लम्हे में हम जीना सीखते हैं। और वो लम्हे हमें जीना सिखाती है। और कभी कभी ऐसा हो जाता है कि उस पल हम हमारी पूरी जिंदगी को यादगार बना देती है। आप लम्हों को इतनी खूबसूरत तरीके से हमारे सामने प्रस्तुत किये। मुझे बहुत अच्छा लगा। आप ऐसे ही स्वेल्स करते रहिएगा। बहुत बहुत धन्यवाद।
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:19
सुमित जी बहुत ही अच्छी कविता है। बहुत ही गहराई है। इसमें। थैंक यू ये हमारे साथ शेयर करने के लिए। आपका दिन शुभ हो। आपका। यह। वीक ये हफ्ता भी बहुत शुभ रहे। बाय।