मिलते गए। जिंदगी। नई नई कहानियां, लेती गई। जिंदगी, जिंदगी। चल। पड़ी। अपने कर्मों की कश्ती में। बैठकर। दिन। रात के स। सफर में। भिन्न भिन्न दरियाओं से। गुजरी। जिंदगी। भिन्न भिन्न लोगों से। मिली। जिंदगी। भिन्न भिन्न कहानियों से सजी। जिंदगी, जिंदगी। चल। पड़ी। अपने कर्मों की कश्ती में। बैठकर। दिन। रात के सफर में। हर सवेरा। नया। गुजरा, जिंदगी का। हर शाम। नया। गुजरा। जिंदगी का। हर रात। नया। गुजरा, जिंदगी का। हर दरिया। नया।
हेलो और मैंने आपकी कविता सुनी। जिंदगी पे। और मुझे ये कविता सुन के बहुत ही प्रोत्साहन और आत्मविश्वास महसूस हुआ है। और आपने जिस तरह से इस कविता को लिखा है जिस तरह से आपने इस कविता को हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है। मैं बहुत ही लाइक, बहुत ही खुश हूं कि इतनी प्यारी कविता अपने पिरोई शब्दों के धागों में पिरोई है। और मैं आशा करती हूं कि आप ऐसी ही कविताएं हमारे समक्ष लेते आएंगे और हमें प्रोत्साहित करते रहेंगे।
Ssumit Sarkar
@sumitsarkar999 · 0:27
शुभ प्रभात, का? वैसी? धन्यवाद। आपने इतने स्नेहमय शब्दों से मुझे प्रोत्साहित किया है। और मैं जरूर अच्छी से अच्छी कविताएं जो लिख रहा हूँ वो आपके सामने प्रस्तुत करूँगा जिससे की आपको मनोरम हो और आप स्वयं भी लिखने के लिए उत्साहित हो। धन्यवाद।
Swell Team
@Swell · 0:15
हाय? सरकार? जी। अब केस? वेल। मुझे? बहुत अच्छा लगा। अब जिस तरह जिंदगी का वर्णन के मुझे बहुत अच्छा लगा। आपने? सही कहा? जिंदगी? का। जिंदगी में ऐसा होता है। कि हर पल कुछ न कुछ नया होता ही रहता है। हर रात कुछ नए बातें लेके आती है। हर सुबह कुछ नए यादें लेके आती है। कुछ नए तरीके लेकर आती है। कुछ नए लोगों को हमारे पास पहुंचाती है। और कई सारे रिश्ते बनते हैं। कई कुछ हो जाता है। 1 पल में। कितना बदलाव होता है? हमें? कभी समझ में नहीं आता। सो जिंदगी।