है सपनों का शहर। जो। हर शख्स को दिन के उजालों में भी चादनी रात के तारें दिखाता है। जो हर शख्स को दिन के उजालों में भी चांदनी रात के तारें दिखाता है। सदियों से उम्मीदों का बोझ लिए। हर शख्स। सदियों से उम्मीदों का बोझ लिए। हर शख्स। इस शहर को भाग चला आता है। कुछ शख्स भरे हाथ आते हैं। इस शहर। कुछ शख्स खाली हाथ आते हैं। इस शहर। संजोए हुए सपनों के साथ। सभी। आते। इस शहर। शहर मुंबई है सपनों का शहर।
हाई? सुमित जी? आपकी स्वेल। मुझे बहुत अच्छा लगा। सपनों का शहर। जब आप पी एस वेल मैं आपकी स्वेल सुन रही थी। न? मुझे? मेरी पुरानी यादें ताजा हो गए? क्योंकि मैं पहली बार मुंबई को मुंबई आई थी। जब मैं इन्वेंटर चैलेंज में बार्डिसिपेट कर रही थी। तब। और वो जो जर्नी था। जर्नी ऑफ वो इवेंट चैलेंज था। वो मेरी लाइफ में द मोस्ट मेंबल एक्सपीरियंस था?