1 इंसान ऐसा नहीं है कि जो कह सके? जो मेरे हाथ पकड़ के कहें मैं हूँ आपके साथ। मेरे अन्दर इतनी दर्द है की से नहीं पा रही हो? कह नहीं पा रही हूँ? मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है इतना दर्द? 1 इंसान हूँ मैं भी। पर लोग तो ऐसे सोचता है तू तो हमेशा खुश ही रहते हो खुश दिखाना पड़ता है कहने वाला भी नहीं है क्या हुआ? और समझने वाला भी नहीं है तो समझा कर भी फायदा गया है सिर्फ 1 मुस्कुराहट से ही काम चला लेते है मेरी तरह। कोई नहीं बने इसलिए मैं आपका सुनना चाहती हूँ अगर किसी के लिए भी किसी के लिए भी।