फिर भी वो कहें सिर्फ, मुझसे? लड़ना झगड़ना करु संघ, जिसके फिर भी अपनी हर बात। कहे सिर्फ। मुझ से। तलाश है। मुझे। ऐसे ही किसी अपने की? है। तलाश। आजमी मेरी जारी है। ऐसे ही किसी अपने की। ऐसे ही किसी अपने की। थैंक यू आई होप की आपको ये कविता पसंद है। और आपके रिप्लाइ का मुझे सबरी से इंतज़ार रहेगा। थैंक यू सो मच।
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 2:08
क्योंकि अपने की तलाश से अपने से ही शुरु होती है। क्योंकि हमने कभी देखा है कि जब कोई अपना हमें धोखा देता है न तब हम अपने पर भी विश्वास करना भूल जाते हैं। तब हमें ऐसे अपने की जरूरत होती है। जो भले ही हमारा अपना न हो? यानी खून का रिश्ता न हो? लेकिन दिल का रिश्ता भी अपना होता है। इसलिए अपने की तलाश जरूर जारी रखिएगा।
ऐसे किस्से कि जो मेरे सपने सजाए? मुझे? अपना बनाएं। अनकहीं बातें नजरों से ही पढ़ जाएं। और खामोश बातों को समझ लें? तो ये सब जो है। ये। आपने। अपनी कविता में। जो है।
Urmila Verma
@urmi · 1:54
जो। सना जी। आपकी रचनाएं में अक्सर सुनती हूँ। बेहद पसंद। आती है। अभी। जो आपने नई कविता प्रस्तुत की है। तलाश किसी अपने की। बहुत अच्छी लगी। बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी। आपने। सच। मुच। हम सभी को पूरी उम्र तलाश रहती है। और यह तलाश जारी रहती है। क्योंकि जो हमें चाहिए, जैसा चाहिए। वैसा जीवन में मिलता नहीं है। पूरी तरह। 1 दर्द। 1 पीड़ा छूट जाती है। उसी पीड़ा को। आप इसमें व्यक्त कर रही है। कहीं?