बाप की शान हैं बेटियां। हर घर की मान हैं। बेटियां।
Akanshya Kajol
@AKA381 · 2:41
नमस्कार? मैं। मेरा नाम आकांक्षा है। और बेटियों पर जो इतनी अच्छी कविता आपने लिखी है। मैं सुनकर काफी प्रसन्न प्रसन्न हुई हूँ और इस कविता की पहली लाइन में ही वो अच्छाई वो सच्च दिखती है। वो आपके मन में जो रिस्पेक्ट है बेटियों के लिए। वो दिख रही है कि हर घर की मान ही बेटियां। सब कुछ ऐसी कविताएं सुननी चाहिए? खासकर वो लोग जिन्हें बेटियों का अरमान नहीं।