हेलो? फ्रेंड्स। आज की पंक्तियों का शीर्षक है। आंसू। यूं ही महफिल। जमी थी। जहन में। जिंदगी के तजुर्बों की। कुछ खट्टे? तो कुछ मीठे अंदाज से बयां। कुछ अलग। सा था। ये। क्या थे? जो कभी चुप जाते थे? तो कभी आराम दिए जाते थे? कुछ? जो चेहरे पर, कभी मुस्कान दिए जाते थे? आज सुकून छीन ले जाते हैं? ये। मेरा क्या है? ये? इनका? रिश्ता पुराना है? मुझसे। मैं तो बस यही सोच रहा हूँ कि क्या? सोचूं? क्या?