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Kunal Jain
@sonofindia · 3:12

Swapan jhare fool se meet chubhe shool se hindi kavita gopaldas neeraj

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नमस्ते दोस्तों बहुत दिन हो गए आपसे बात किए हुए 1 कविता सुनाता हूँ बहुत इच्छा थी इस कविता को जीवन के कुछ दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ इस कविता ने बहुत सहारा दिया है गोपाल दास नीरज की कुछ कविताएँ आप पढ़ेंगे तो उनमें ऐसी 1 कविता ये बहुत ही पॉपुलर हुई है बॉलीवुड में भी इसके ऊपर से लोगों ने बहुत कुछ बोला है और गाने लिखे हैं कविता सुनाता हूँ स्वप्न झरे फूल से मीत चुभे शूल से लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई पांव जब तलक उठे कि जिंदगी फिसल गई पात पात झर गए किशाखशाख जल गई चाह तो निकल सकी न पर उम्र निकल गई गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए साथ के सभी दिए धुआं धुआं पहन गए और हम झुके झुके मोड़ पर रुके रुके उम्र के छड़ाव का उतार देखते रहे कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे क्या शबाब था कि फूल फूल प्यार कर उठा क्या जमाल था कि देख आइना मचल उठा इस तरफ जमी और आसमां उधर उठा थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे यह कविता अगर आप पढ़ लेते हो तो उसके बाद आपको लगता है कि जीवन क्या है और कई बार आपको ऐसा लगेगा कि जीवन आपके कंट्रोल में है जो चीजें चल रही हैं वो अच्छे से चल रही है या और अच्छी हो सकती है लेकिन जिस जब कभी आपको और भगवान करे कि ऐसा समय न आये कि जब आपको इस कविता को दोहराने की पढने की और समझने की बहुत ज्यादा जरुरत लेकिन कविता अपने आप में बहुत खूबसूरत है और लास्ट लाइन गोपाल दास नीरज बोलते हैं कार वहां गुजर गया गुबार देखते रहे और हम खड़े करे बाहर देखते रहे तो सारा तत्व इसी में है बताइए कैसी लगी आपको और अच्छी लगे तो रिसवल कीजिए लोगों से शेयर कीजिए थैंक यू वेरी मच जीवन चलती का नाम गाड़ी है आगे चल रहा है और आपसे स्वर्ण पर बात होती रहेगी थैंक यू सो मच धन्यवाद

आज बस यह एक गोपाल दास नीरज की कविता पढ़ने का मन कर गया। #हिंदीकविता स्वप्न झरे फूल से

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