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@sohilariously · 3:55

Pov:- Taare Zameen Par (nostalgia)

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खोलो खोलो दरवाजे पर किनारे कोटे से बनी है हवा में क्या हा हूँ लेके अपने ही रंग लेके आज हम है सजाना क्यों इस कदर हैरान तू मौसम का है महमान तू हो दुनिया से जी तेरे लिए खुद को जरा पहचान तू तू धू छंद से बिखर तू है नदी पे खबर बचलकई उड़ चलकहीं देख जहाँ तेरी तो मनसिल है वही क्यूँ इस कदर हैरान तू मौसम का है में है मान तू बसी बसी जिंदगी उदासीता से हसने कोरासीकरमगरमसरी अभी अभी है उतारी ह जिंदगी तो है पताशा मीठी मीठी सी है आशा चकले रखले तेली से ढके से तुझ में कर प्यास है बारिश का घर भी पास है रोके तुझे कोई क्यों भला संग संग तेरे आकाश तू धूप है छम से बिखर तू है नदी बेखबर बेच कहीं उड़ चले कहीं खुश जा तेरी तो मंजूर है वही है रान तू मासूम का है मैं है मामू खोलो खोलो दरवाजे पर देकर किनारे खोटे से बंदी है हवा मे के छोर सर आज वो पतंग लेके अपने ही रंग लेके आसमा कशा मन मे सो जाना खुल गया आसमान का रस्ता देखो खुल गया मिल गया खो गया था जो सितारा मिल गया रोशनी सारी समीर जब हुआ सारा जा हो को तू आजा द है बंदन तोही अब है कहा तू धूप है छम से बिखर तू है नदी खबर बचलकई उड़ चल कही दे खुश तेरी तो बंस।

#taarezameenpar

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