@smileypkt
Prashant Kumar
@smileypkt · 4:59

Middle class youths are in danger

थैंक यू सो मच एवरीवन सबका धन्यवाद जो लोग भी मेरा स्वेल कास्ट सुन रहे है रिप्लाई कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं की इस स्वेल कास्ट को और वैल्यू प्रोवाइड किया जाए मैं आप लोगों से लाइक कमेंट और शेयर नहीं चाहता हूँ मैं आपसे गुड इनपुट चाहता हूँ जो लोग भी आप अपना अपना अनुभव जो रियल लाइफ एक्सपीरियंस है जो आपका मिडिल क्लास फैमिली को लेकर के आप जो जो प्रॉब्लम फेस करते हैं अपने आस पास के 2 लोगों को देख कर के छोटे छोटे बच्चों को देख कर जो आपको अनुभव होता है न प्लीज वो एक्सपीरियंस शेयर कीजिये मैं बिहार से हूँ बिहार के 1 छोटे से जिले से हूँ अरवल से तो मैं अपने एरिया का तो अनुभव शेयर कर सकता हूँ लेकिन आप हो सकते हैं हरियाणा से हो कोई महाराष्ट्र से हो कोई केरला से तमिलनाडु से हो कश्मीर से हो मणिपुर से हो वो अरुणाचल प्रदेश सी हो और हर अलग अलग क्षेत्र से लोग अपने एरिया के मिडिल क्लास फैमिली का बिहेवियर उनका 1 तरह का किस तरह का एटिट्यूड है लाइफ को लेकर वो शेयर करेंगे सुनो हम 1 अच्छा मीनिंग फुल कनवर्सेशन बिल्ड कर सकते हैं और मैं इस चीज का बहुत बेसब्री से इंतेजार कर रहा हूँ की कोई 12 व्यक्ति कमिटेड पूरा फोकस हो कर के अपना रियल एक्सपीरियंस शेयर करने के लिए तैयार हो मैं उम्मीद करता हूँ कोई न कोई जरूर शेयर करेंगे और मैं अब आता हूँ अपने दूसरे प्वाइंट पर जो मैंने पिछले स्विल कास्ट में शेयर किया था की जो फैमिली का 10 से पंद्रह साल का जो युवा है वो बर्बाद क्यों हो रहा है पहला रीजन मैंने दिया था मूवी इंडस्ट्री क्यूंकि आज हर किसी के फ़ोन में एंड्राइड फोन हाथ में मोबाइल फोन है स्मार्टफोन पहले हमारे पास छोटा फ़ोन भी नहीं होता था आज हर किसी के पास 10 से पंद्रह साल के लड़के के पास स्मार्टफोन है उसको ऑपरेट करना आता है हर तरह से जितना उनके पैरेंट्स को ऑपरेट करना नहीं आता उतना ऑपरेट उसको करना आता है उस बच्चे को ठीक है न तो यहाँ पर हो गया की वो मूवीज की दुनिया ऐसी एक्सपोज्ड हो गया और मूवीज के साथ साथ जो वेब सीरीज बन रही है इनमें जिस तरह का काउंटेंट दिखाया जा रहा है उससे भी एक्सपोज्ड हो गया इसकी बात तो मैं कर चुका हूँ और इसका प्रमाण उपलब्ध है बहुत ज्यादा प्रमाण उपलब्ध है की किस तरह से फिल्म इंडस्ट्री हमारे युवाओं की सोच को हाईजेक करता है ठीक है न मैं यहाँ पर वर्ड हाइजेक जान बूझ कर यूज कर रहा हूँ क्यूंकि मैंने अपने जीवन में अनुभव किया है कोई भी मूवी देखता हूँ न तो उसके अकॉर्डिंग मेरी थिंकिंग प्रोसेस न मुड़ जाती है उसकी तरफ कुछ उसी तरह जो फिल्म का हीरो होता है न उसकी तरफ कुछ लगने लगता है की मैं भी कुछ इसी तरह का काम करूंगा चाहे वो वायलेंट हो यह मतलब कितना भी डेंजरस हो ठीक है ना तो ऐसा नहीं है कि इम्पैक्ट होता नहीं है ये तो बिल्कुल सोच के चलिए न की मूवीज देखने से क्या इम्पैक्ट होगा नहीं होता है सबसे पहली बात दूसरा जो दूसरा रीजन में डिस्कस नहीं कर पा था पिछले फिल्म में इसमें कर रहा हूँ पेरेंट्स और बच्चों के बीच बिल्कुल नो बॉन्डेज होना देहात में ये मेरे लिए बहुत ही अजीब बात है किसी के पास टाइम नहीं है आपस में बैठकर बात करने का दिन में 5 मिनट भी बैठ कर के आपस में बात नहीं करते हैं बस नाम को पिता पुत्र है न उनमे कोई बातचीत नही हो रहा है कोई कनवर्सेशन नहीं हो रहा है पिता अपने पुत्र को अगर कुछ करने के लिए बोल भी रहा है तो वो डांट कर के बोल रहा है समझा करके यह प्रेम से नहीं बोल रहा है ताकि न वो उनके पास टिक के बैठ सके उनका बेटा तो ये जो गैप बन रहा है न ये जो कमी बन रही है इस रिश्ते में जो कमी आ रही है ये कमी ये जो प्यार नहीं मिल रहा है इस रिश्ते में तो वो बेटा कहीं न कहीं तो बाहर भटकेगा इसके कारण तो उसके बहुत सारे दोस्त भी बन रहे हैं जो उसको नशीली पदार्थो में करवा रहे हैं 10 से 12 साल का बच्चा न मतलब ज्ञान दे रहा है अपने सर्कल में की ये करना चाहिए ये नहीं करना चाहिए उसको गाइडेंस मिलना चाहिए अपने पिता से अपने दादा से अपनी माँ से सब कुछ से वो बिल्कुल कट चूका है पूरी तरह से अपने फैमिली से और मैं सबकी बात नहीं कर रहा हूँ जो बेटा या बेटी अपने फैमिली से जुड़े हुए जिनके माता पिता से जुड़े हुए हैं वो वो लाइफ में कितना भी स्ट्रगल देख ले वो कभी टूटते नहीं है ये मेरा अपना पर्सनल एक्सपीरियंस है कितना भी प्रॉब्लम आप देख लेंगे आप को विश्वास हुआ की आई कैन हैंडल आई विल ओवर कमिट में इसको खत्म कर दूंगा समाप्त कर दूंगा इस प्रॉब्लम को जड़ से मेरे में उतनी क्षमता है लेकिन जब आपको इस तरह का फैमिली सपूत नहीं मिलता इस तरह का अपने माता पिता से 1 प्यार नहीं मिलता है न तो वो कॉन्फिडेंस नहीं आ पाता वो करेज नहीं आ पाता है आपकी लाइफ में मैं इस टॉपिक पर लगातार रिसर्च कर रहा हूँ और पिछले 2 दिन ऐसे पोडकास्ट या जो मतलब कास्ट इसको बोल सकते है की नहीं आया था इसलिए क्यूंकि मैं 23 अलग अलग बहुत ही गहराई से रिसर्च कर रहा हूँ अलग अलग टॉपिक्स पे धन्यवाद

#life #youth #middleclass #success #love #parents #family

@Gamechanger
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 3:42
थैंक यू प्रशांत आपने जो ये बात आज कही है ये इतनी सच है और ये सिर्फ मिडल क्लास के लिए नहीं है ये अक्रॉस ऑल क्लासेज है अक्रॉस द ग्लोब है और ये प्रॉब्लम इतनी ज्यादा फैल चुकी है अब मुझे नहीं मालूम इसको हम लोग प्रलय का बिगनिंग बोलेंगे या मिडल बोलेंगे जो इस तरह से सब हो रहा है 1 तो ये जो फोन हमारे पास आ गया है इसके जितने फायदे हैं उतने ही इसके नुकसान है तो उससे बहुत प्रॉब्लम हो रही है बच्चों को जिस तरह से आपने कहा की एक्सपोजर है और हर वक्त बच्चे उसी में घुसे हुए हैं 1 फोन के अंदर और न उनका पढ़ाई में ध्यान जा रहा है न ही किसी और बात पे और वो इतने ज्यादा इन्फ्लुएंस होते जा रहे हैं कि वो अपना कुछ भी खुस नहीं सोच पा रहे हैं उनको गाइड करने वाला कोई नहीं है उनको गाइड करने वाला कौन है जो ये कंटेंट बना रहा है जो मूवीज बना रही है मूवीज का एजेंडा रहता है कि लोगों को 1 तरह से इन्फ्लुएंस कर देते हैं कुछ वहाँ पर इन्टेन्शनल होता है कुछ अनइंटेंशनल होता है कुछ भी हो सकता है वी डू नॉट नो what is behan मोटिव दैट इज बी हैंड देर तो बहुत सी मूवीज ऐसी रहती है बहुत सा कंटेंट ऐसा रहता है कि इतनी बुरी तरह से इंफ्रेंस हो जाते हैं सब और सबको ऐसे लगता है जैसे आप कहरे हैं कि हीरो बन जाए कुछ को तो लगता होगा विलन बन जाए तो शायद हमें शोहरत मिल जाए कामयाबी मिले लेकिन वो नहीं जानते कि वहां पर तो जो 1 सेकेंड में कामयाबी दिखती है उसके लिए लोगों को सालों साल मेहनत करनी पड़ती है तो उने मेहनत वाला पोर्शन दिखता नहीं है न वो समझ पाते है तो ये बहुत बड़ी प्रॉब्लम है दूसरी जो आपने कहा माँ बाप और बच्चों के बीच का जो डिस्टेंस और जो टेंशन है दोनों बढ़ गए है हम लोग इतने अपने काम में बिजी हैं क्योंकि इतना स्ट्रेस है काम का कि अगर आप उन्हें कुछ भी कहेंगे तो अपना लैपटॉप छोड़ने के लिए तैयार नहीं है वो जला जाते हैं चीखने लगते हैं चिल्लाने लगते हैं और इस तरह से वो बच्चों पर चीखते हैं और बच्चे इसलिए उनसे कुछ भी बात करना पसंद नहीं करते क्योंकि उनको पता है कि अगर हम लोग अपने पेरेंट से कुछ भी करेंगे तो हमें यू नो वापसी में मतलब रिएक्शन में तो हमें डांट ही मिलने वाली है तो इससे अच्छा है कि उनसे बात न की जाए तो वो डिस्टेंस और बढ़ गया तो ये जो 2 चीजें आपने बताई है यह वाकई में और ये सब तरफ है ये मेरा ऑब्जर्वेशन है कि इसमें कोई क्लास की बात नहीं रह रही न ही किसी स्टेट स्पेसिफिक या कंट्री स्पेसिफिक है यह 1 यूनिवर्सल इशू बन गया है और यह बढ़ता ही जा रहा है इसमें कमी नहीं हो रही क्योंकि इसके लिए हम कोई भी काम नहीं कर रहा न इसके ऊपर तो हम सोच भी नहीं रहे क्योंकि लोग इतने अपने काम में बिजी हो चुके हैं क्योंकि हर किसी के टार्गेट हैं गोल्स हैं और वो अचीव करना है और वो गोल्स भी कैसे होता है बहुत ही इम्पॉसिबल होता है अचीव करने और उसके पीछे लोग भाग रहे हैं और यह सारी जो सारा जीवन हमारा इस भागदौड़ मे ही निकल जाएगा ऐसा लगता है तो ये प्रॉब्लम की तरफ तो देखने का किसी के पास समय नहीं है तो आम सो ग्लैड दैट यू ब्रॉड दिस बहुत ही पर्टिन क्वेशन है बहुत ही रेलेवेंट है आज के टाइम के हिसाब से और iविशइसकाकोई सोलूशन हो नहीं तो the socity gon to suffer thank you so much for bringing the up how a lovely weaken by by
@smileypkt
Prashant Kumar
@smileypkt · 4:59

Thank you so much for your valuable reply @Gamechanger

बहुत बहुत धन्यवाद रजनी माम और मैं आपकी 1 बात यहां पर बिल्कुल सहमत हूँ कि ये जो चैलेंज है यूथ के कैरियर का स्टार्टिंग में ही पूरी तरह से नष्ट हो जाना उनकी इंटेलिजेंस का स्कोप खत्म हो जाना उनके कुछ सीखने की क्षमता का खत्म हो जाना ये यूनिवर्सल हो चुका है है न लेकिन मैं जहाँ तक अपने आप को समझ पाता हूँ कि मैं जिन जिन लोगों को अपने आस पास पॉजिटिवली इम्पैक्ट कर पाऊँ मैं कोशिश करता हूँ और चूँकि मेरे अनुभव मिडल क्लास फैमिली के हैं या ब्लो मिडिल क्लास फैमिली के हैं तो मैं चाहता हूँ कि पहले इन लोगों का जीवन स्तर थोडा सा बेहतर हो क्यूंकि जीवन स्तर बेहतर करने का मतलब मैं पैसे में या इकोनॉमिकल स्टेटस में बात नहीं कर रहा हूँ मैं बात कर रहा हूँ की हम अपने जीवन को जीने का तरीका बदले हम रेट रेस का हिस्सा न बन जाए 1 अंधी ट्रेस का जिसमें हर 1 कोई 1 दूसरे से ज्यादा पैसा कमाना चाहता है अंधा धुन बिना मतलब के भाग रहे हैं सब किसी को कोई अता पता नहीं है कि इतने पैसे का वो अब करेंगे क्या जरूरी जितने पैसे थे वो कमा रहे है बट फिर भी अपने ग्रिड को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और ग्रिड को न कंट्रोल कर पाने के कारण उनकी फैमिलीज बिल्कुल सफ़र कर रही है आपस में कोई कनेक्शन ही बिल्ड नहीं हुआ है दीप लेवल पर तो छोड़ दे वो लोग आपस में आमने सामने बैठकर बात तक नहीं कर पाते हैं सारे दिन में तो ये हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज है बहुत बड़ा चैलेंज और सबसे पहले मैं मिडल क्लास को इसलिए एड्रेस कर रहा हूँ क्योंकि मैं हाल फिलहाल में 1 आर्टिकल पढ़ रहा था जिसमें मैंने देखा था कि इंडिया में आने वाले अगले 6 साल में 2030 तक 60 प्रतिशत फैमिली मिडल क्लास होंगी और इसी कारण से इंडिया पूरे वर्ल्ड के लिए 1 बहुत बड़ा मार्केट बना हुआ है और हर कंपनी आ कर के हमें कुछ न कुछ बेचना चाहती है प्रॉफिट कमाना चाहती है हमसे और इसके लिए वो हमेशा किस चीज का प्रयोग करती है फियर का प्रयोग करते हैं या स्कार सिटी का प्रयोग करते हैं यानि कि वो हमको ये बताते हैं की अगर आपके प्रोडक्ट नहीं लेंगे तो आपका जीवन खराब खराबी में जिएगा आप 1 अच्छा जीवन नहीं जी पाएंगे ये प्रोडक्ट आप ले लेंगे तो आपका जीवन पता नहीं क्या हो जाएगा है न 1 तरह का कमी महसूस करवाते हैं हमारे वो दैनिक जीवन में और इसी कारण से हम धीरे धीरे मशीनों पर बहुत बुरी तरह से डिपेंडेंट होते जा रहे हैं नाम के तो रह गए हैं कि हमारा जो सिविलाइजेशन है हमारा कल्चर है बहुत पुराना है लेकिन हम इस तरह से डिपेंडेंट होते जा रहे हैं प्रोडक्ट पर बाजार की चीजों पर कि हम रियल लाइफ में रिलेशनशिप्स को वैल्यू नहीं कर रहे हैं और ये बहुत बड़ा थ्रेट है इसके कारण हो क्या रहा है की हम मेंटली कभी भी स्टेबल नहीं है बहुत ज्यादा अनस्टेबल हो चुके है मेंटली बहुत जल्दी गुस्सा आ जाना बहुत जल्दी खुश हो जाना बहुत जल्दी उदास हो जाना कि कोई स्टेबिलिटी है ही नहीं हमारे मेंटल 1 तरह से मेंटल लाइफ में तो हमारा इस तरह का जो जीवन बनता चला जा रहा है इससे अगर 60 प्रतिशत भारत की फैमिली सफ़र करती है तो पूरा भारत फिर सफ़र करेगा और जहाँ तक मैं समझ पाता हूँ की अगर मिडल क्लास के लोग अपने आप को इस चीज से बचा ले क्योंकि कमाल की बात ये है न कि जो हायर क्लासेज हैं जिनके पास पैसा है उनके पास अच्छे अच्छे मिनटऔर शहर करने के पैसे हैं साइकेटरिस्ट साइकोलोजिस्ट वो अच्छी किताबें अफोर्ड कर सकते हैं स्प्रीचुअल गुरुओं से मिल कर के उनसे सीख सकते हैं मिल क्लास फैमिली के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने का ही मतलब पैसा हो पाता है तो हमारे लिए ये सब स्टेशन ले पाना पॉसिबल भी नहीं है तो हमारे लिए सबसे जरूरी होगा कि लेस एक्सपेक्टेशंस एंड मतलब कम से कम इच्छाएं और अपने आस पास के जो फैमिली मेंबर्स हैं उनसे जितना ज्यादा हम कनेक्ट कर सके फिजिकल लेवल पे मतलब आमने सामने बैठ के बात कर रहे हैं साथ में खा रहे हैं खाना खा रहे हैं साथ में बैठ के अपना बात कर रहे हैं डेली बेसिस पे वो जीवन अलग
@Gamechanger
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 1:11
जिसको देखो अपने फोन में मस्त है। फोन से? बाहर ही? नहीं? निकलते लोग? तो आप आपस में भी बैठे होते हैं। आप नोट करना? खाने की मेज पर बैठे होंगे? हर किसी के हाथ में फ़ोन है। वो फोन को देख रहा है। मतलब अजीब सी वो हो गई है। एकदम सोसाइटी। हमारी तो बहुत सा काम है। जो करना है। और कहाँ से शुरू करे? वो समझ में नहीं आता। आपने बहुत अच्छा किया और आप पहल कर रहे हैं। यह बहुत बड़ी बात है।
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