आप सभी को। मेरा नमस्कार। बहुत ही खूबसूरत। कुछ पंक्तियाँ। आप। सबके बीच में पेश करना चाहूंगी। बहुत ही प्यारी कविता है। आशा। करती हूँ। आप सबको। बहुत पसंद। आएगी। पंक्तियां। कुछ इस तरह है? कभी कभी। खुद को पिंजरे में कैद पंछी के रूप में देखती हूँ? हाँ? कभी कभी। आजादी। आजादी तो जैसे मेरे मन के आंसू हैं। तभी मुझे एहसास हुआ कि इन सीमाओं को पार करना मेरा मकसद नहीं है। पहले मुझे खुद को खुद के नकारात्मक विचारों से आजाद करना है।