शरीर कुछ कर रहा है? मन कुछ कर रहा है? ये हमारे ऊपर भी नहीं है। हम इसे नहीं छोड़ सकते। और छोड़ना? तो किसी चीज को बुरी। बात है। वह छूट जाए? कहते? नहीं? कोई कुं? बीमार? पर बैठ गया? और कोई घसीट कर ले जाया गया। जैसे नारियल अपने घौंसले से स्वता अलग हो जाता है। उसे कोई भी वश नहीं करता। जिसमें यह वृत्ति स्वत आती है। वही परमानंद को प्राप्त कर सकता है? कहते हैं? 1? बार? 1? सदगुरु ने अपने शिष्य से कहा?