जिंदगी के सफर में। आनंद। आने लगेगा। आप। मंदिर भी जाओगे? तो? आनंद में? प्रेम में। क्योंकि वह ईश्वर है। घट, घट, व्यापी, कंकर, पत्थर, मां? बाप, हवा? पानी, सूर्य की रोशनी। आग में। सब जगह। ईश्वर है। ईश्वर से अलग। हम नहीं हैं। हमसे अलग। ईश्वर नहीं है। बस। आज। इतना ही। आगे के टॉपिक पर बाद में बात करेंगे। अगर आपको अच्छा लगे।
हाई? शिवा दुबेजी। आपकी पोयम? तो मुझे बहुत बहुत अच्छी लगी। और मुझे मन में बहुत सारे सोच। और ऐसा मुझे ऐसा अहसास हुआ कि मेरे सामने सच में भगवान है। और अगर सच में भगवान से अगर हम मिल पाए तो क्या? पूछना? है? क्या? कहेंगे? क्या? कुछ हम कर सकते हैं? सो? ऐसे कई कई क्वेशचंस और सवाल मेरे मन में आए हैं। और आपकी हर 1 वर्ड? और हरएक सेंटेंस जो आप आपके मन की भावन को हमारे सामने प्रस्तुत किए हैं, वो मुझे सच में बहुत अच्छा लगा। थैंक यू सो? मच।