अंतत नियत को। जैसा मंजूर था? वही हुआ। प्रकृति के निर्णय के आगे। हर चीज। हार गई। वह। अपने पति को न? बचा। पाए? पत्नी का विश्वास टूटा? छोटे छोटे बच्चे? भगवान पर इलजाम लगाने? लगे? हमारी भी। आत्मा। काफी। क्योंकि हुआ ही ऐसा था। कि कई बार बेचैनी होती। परन्तु क्या कर सकते हैं? यही जीवन है। हमारे जीवन में। घटी। हर घटना। हमें कुछ न कुछ सिखाती है। उस।