अपने मन में। करुणा का भाव? जगने। 2। छमा। अपने अंदर। आने। 2 एशिया को जाने। 2 जो अच्छा हो, हो रहा है, उसे भी प्रकृति का निर्णय मानकर? स्वीकार करो। और जो बुरा उसे भी प्रकति का निर्णय मानो। आवश्यकता से अधिक। किसी भी वस्तु का। अपने पास एकत्र मत होने। 2। जितनी जरूरत है। बस। वही चुनो। अपने जीवन के लिए, लोगों की मदद से पुणश्वाबलंभी बनने के लिए करो। और जो अपाहिज हैं उनकी मदद तन, मन और वचन से करो।
Aishani Chatterjee
@Aishani · 1:17
बहुत बहुत अच्छा लगा। मुझे आपकी यह कविता और प्रकृति के बारे में इस तरह से सोचना? बहुत इमपोर्टंट है मेरे ख्याल से? क्योंकि मोस्ट ऑफ द टाइम हम you न वी हैव? दिस माइंड सेट की हम किस तरह से नैचुरल रिसोर्सेज को यूटिलाइज कर सकते है? ताकि हमारी यू नो सो? दैट वी कैन टेक? एडवांटेज, ऑफ़? और ताकि हमारे डे टुडे लाइफ में हम यूज कर सकते हैं? यूटलाइज कर सकते हैं। रिसor्cesकोाnecr को? the very fact? the fact? that necher is? what? narisazas? की प्रकृति? के बिना? hmara? geven? he?
Shiva Dubey
@SHIVAdubey_2787 · 0:31
शानी जी। बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे सुनने के लिए। हमारी सराहना करने के लिए। आपने। अपने जीवन का कीमती। वक्त। हमारे कुछ शब्दों को हमारी कुछ सोच को सुनने के लिए निकाला। इसके लिए आपको दिल से बार बार धन्यवाद देते हैं। आगे की बातें, आगे की सोच? और आगे के शब्द सुनने के लिए। मुझे। आपके। कमेंट्स। आपके। रिप्लाई। 1 नई ऊर्जा देते हैं। ऐसा करते रहिये। मुझे बहुत अच्छा लगता है। और फॉलो जरूर करिए शेयर करिए।